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बचपन में घर के सामान से खेलते थे जसप्रीत बुमराह, टूट जाने पर चुपचाप सटा कर वैसे ही सजा देते थे

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भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी और बॉलर जसप्रीत बुमराह और उनकी पत्नी। (फोटो- फेसबुक)

भारतीय क्र‍िकेट टीम के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) जब पांच साल के थे तभी उनके पिताजी का देहांत हो गया था। मां स्कूल में प्रिंसिपल थीं। उसी स्कूल में जहां बुमराह पढ़ते थे। उन्‍होंने बचपन से ही क्र‍िकेट खेलना शुरू कर द‍िया था। शुरू में मस्‍ती के ल‍िए ही खेलते थे, लेक‍िन सपना देश के ल‍िए खेलने का देखते थे। सपना बहुत बड़ा लगता था। जब वह थोड़ा बड़े हुए, तब भी सपना बड़ा लगता था। सोचते थे इतना बड़ा देश है, इतने सारे लोग खेलने वाले हैं, उनके बीच मैं कैसे मुकाम बना पाऊंगा। लेक‍िन, एक बात थी क‍ि क्र‍िकेट के प्रत‍ि जुनून था। वह हमेशा ग्राउंड पर ही होना चाहते थे। कभी उन्‍हें प्रैक्‍ट‍िस या क्र‍िकेट खेलने के ल‍िए क‍िसी मॉट‍िवेशन की जरूरत नहीं पड़ी।

बुमराह की हाइट थोड़ी कम थी। वह जहां भी खेलने जाते, उनकी हाइट देख कर सब यही सोचते थे क‍ि यह क्‍या खेल पाएगा। पर, पहली ही गेंद फेंक कर वह उन लोगों की राय बदलने का माद्दा रखते थे। पहले रणजी गेम में भी उन्होंने 7 विकेट लेकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।

बुमराह हमेशा दाढ़ी रखते हैं। उनका कहना है क‍ि सेविंग करने पर वह कम उम्र के द‍िखने लगते हैं, इसल‍िए दाढ़ी नहीं हटाते।

बुमराह को बचपन में चीज़ों से खेलने की आदत थी। खेलते हुए अगर कोई चीज टूट जाती थी तो वह क‍िसी को बताते नहीं थे, बल्‍क‍ि उसे जोड़ कर उसी जगह सजा दिया करते थे जिस जगह पर वो सामान रखा होता था। जब मां सफाई करतीं और तब उन्‍हें पता चलता और बुमराह पकड़े जाते।

बचपन में वह टीवी भी खूब देखते थे और टीवी पर क्र‍िकेट के अलावा कुछ नहीं देखते थे। वह क्र‍िकेटर्स को बॉलिंग करते हुए बड़े गौर से देखा करते थे और दोपहर में घर के हॉल में ही बिना शोर के बॉलिंग कर प्रैक्‍ट‍िस किया करते थे।

स‍िडनी में जब पहली बार वनडे खेलने का मौका म‍िला तो धुंंधली तस्‍वीर से उम्‍मीद की क‍िरण न‍िकली थी। मैच से एक द‍िन पहले प्रैक्‍ट‍िस होनी थी, पर बार‍िश की वजह से रद हो गई। बुमराह को लगा अब तो प्‍लेइंग 11 में मेरी जगह गई, क्‍योंक‍ि कोई मेरे खेल के बारे में जानता तो है नहीं। पर, अगले द‍िन जब टीम मीट‍िंंग हुई तो रव‍ि शास्‍त्री ने पूछा- तुम फ्रेश हो, खेल सकते हो? प्‍लेइंग 11 में बुमराह ले ल‍िए गए। अब उन्‍हें लगा कोई सीन‍ियर ख‍िलाड़ी कुछ गाइड करेगा, कुछ बताएगा। पर, कोई नहीं आया। बुमराह जब बॉल‍िंंग करने जाने लगे तो महेंद्र स‍िंंह धौनी उनके पास आए और बस इतना कहा- अपना खेल खेलो और मौज करो। बुमराह ने अपनी मन:स्‍थ‍ित‍ि बदली और गुजरात का मैच समझ कर खेलने लगे।

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