Jai Prakash Yadav and Patience: डॉक्टरों ने कहा- नहीं खेल सकोगे क्रिकेट, जय प्रकाश यादव ने ऐसे पाई बीमारी पर विजय
Jai Prakash Yadav and Patience: लोगों के जीवन में कई बार ऐसा वक्त आता है जब वह निर्णायक दौर से गुजरता है। जिनमें हिम्मत होती है वे इसमें आगे बढ़ते हैं, जिनमें हिम्मत की कमी होती है, वे रास्ते ही बदल देते हैं।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक ऐसे ही जीवट हिम्मत वाले शख्स ने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा तो उन्हें कई बार जिंदगी की परीक्षा से गुजरनी पड़ी। खास बात यह है कि वह हर परीक्षा में सफल रहे और आगे बढ़ते रहे। उनका नाम जय प्रकाश यादव है।
जय प्रकाश यादव को लोग जेपी यादव भी कहते हैं। वे बचपन से क्रिकेट खेलते थे। पढ़ाई-लिखाई में औसत रहने वाले जेपी यादव क्रिकेट में हमेशा अव्वल रहे। यही वजह है कि 20 साल की उम्र में वह मध्य प्रदेश की रणजी टीम का हिस्सा बन गये थे।
जेपी यादव की जिंदगी में कई बार बड़ी दिक्कतें भी आईं। एक बार उनके पेट में ट्यूमर हो गया। जांच कराने पर डॉक्टरों ने कहा कि फिलहाल उनको एक से डेढ़ साल तक क्रिकेट से दूर रहना होगा।
क्रिकेट से दूर होना जेपी के लिए ट्यूमर से ज्यादा दुखदायी था। लिहाजा उन्होंने तय किया कि क्रिकेट नहीं छोड़ूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए। उन्होंने इलाज कराना शुरू किया और थोड़े दिन बाद ही डॉक्टरों की सलाह के विपरीत इंदौर कैंप में एमपी टीम के साथ जुड़ गये।
हालांकि उनका इलाज अभी पूरा हुआ नहीं था, लेकिन उन्होंने न तो टीम मैनेजमेंट को बताया और न ही साथी खिलाड़ियों को कोई जानकारी दी और खेलने के प्रैक्टिस में जुटे रहे। उनकी हिम्मत को देखकर डॉक्टर भी हैरान थे। कुछ दिन बाद उनकी बीमारी अपने आप खत्म हो गई। वह मैदान पर फिर से चौके-छक्के लगाने लगे और अपनी गेंदबाजी से बल्लेबाजों को रन लेने से रोकने लगे।
घरेलू क्रिकेट में जेपी यादव ने 1998-99 मध्य प्रदेश के लिए रणजी मैच में 640 रन बनाये और 20 विकेट लिये। 2001-02 में रेलवे के लिए खेलते हुए उन्होंने 408 रन बनाये और 12 विकेट लिये। इस प्रदर्शन से उनको अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका मिला। 6 नवंबर 2002 को वे वेस्ट इंडीज के खिलाफ पहली बार भारतीय टीम में शामिल हुए।