11 साल की उम्र में मुंबई के तबेले का काम किया, स्टेडियम के बाहर गोलगप्पे बेचे, यशस्वी जायसवाल के ऐसे रहे संघर्ष के दिन
आईपीएल 2023 में युवा पीढ़ी के कई नये लड़कों ने कमाल कर दिया। ऐसे होनहार खिलाड़ियों के आने से टीम इंडिया के सितारे बुलंदियों पर रहने की संभावना है। यशस्वी जायसवाल ऐसा ही एक सितारा है जिसने इस सीजन में सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। यूपी के भदोही के एक गरीब घर से निकले यशस्वी जायसवाल ने रन बटोरने में जबर्दस्त अमीरी दिखाई। यशस्वी के पिता पेंट की दुकान चलाकर घर का गुजारा करते थे। शुरू में यशस्वी को स्कूल भेजा गया, लेकिन इनका मन क्रिकेट में ही लगता था। इस वजह से वह पढ़ने में बहुत अच्छे नहीं थे।
जब वह 11 वर्ष के हुए तो मुंबई चले गये। वहां पर उनके पिता भूपेंद्र जायसवाल ने अपने दोस्त के तबेले में रहने का इंतजाम करवा दिया। यह तय हुआ था कि यशस्वी सुबह मैदान में क्रिकेट की प्रैक्टिस करने जाएंगे और दिन में तबेले का काम करेंगे। इस तरह वह रोज आजाद मैदान जाकर प्रैक्टिस करने लगे। जिनके घर में यशस्वी रह रहे थे, वह उनसे खुश नहीं था। इसलिए एक दिन उसने यशस्वी को घर से निकाल दिया।
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पिता कहते हैं कि जब वे यशस्वी को मुंबई भेज रहे थे, तब आस-पड़ोस के सब लोगों ने कहा कि पागल हो गये हो। बर्बाद हो जाओगे। आज जब बेटा आईपीएल में करोड़ों रुपये कमा रहा है, तो वही लोग आकर कहते हैं कि यशस्वी हमारा बेटा है। 2020 के आईपीएल में राजस्थान की टीम ने यशस्वी को दो करोड़ 40 लाख में खरीदा।
तबेले से निकाले जाने के बाद मजबूरन यशस्वी आजाद मैदान में टेंट में रहने लगे। वहां उन्होंने एक तरकीब सोची। वह गोलगप्पे थोक में खरीदकर फुटकर में बेचने लगे। इससे उनका कुछ दिन काम चल गया, लेकिन वहां पर वे लड़के भी आते थे, जिनके साथ यशस्वी प्रैक्टिस करते थे। इससे उनको शर्मिंदगी महसूस होने लगी। इससे यशस्वी ने गोलगप्पे का काम छोड़ दिया। इस दौरान एक अच्छा काम भी हुआ। जहां यशस्वी प्रैक्टिस करते थे, वहीं के एक कोच ज्वाला सिंह से उनकी मुलाकात हुई। उन्होंने यशस्वी का खेल देखा था। उसमें उनको कुछ संभावना दिखी। उन्होंने यशस्वी के लिए नए जूते और किट दिलवाए और रहने की व्यवस्था कर दी।
यशस्वी के जीवन में यहीं से मोड़ आया। उन्हें दादर यूनियन क्लब से खेलने का मौका मिल गया। इस यूनियन से भारत के महान क्रिकेटर 1983 के विश्व कप विजेता टीम के मेंबर दिलीप वेंगसरकर का जुड़ाव था। यशस्वी की उनसे मुलाकात हुई तो उन्होंने उनकी काफी मदद की। यहां तक कि क्लब की ओर से यशस्वी को इंग्लैंड भेज दिया। यह ऐसा वक्त था, जिसके बाद यशस्वी की किस्मत खुल गई, वह आगे ही बढ़ते गये। अंडर 16, 19 और 23 के लिए खेले।