कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) आज देश के नामी क्रिकेटर हैं, पर उन्हें क्रिकेट खेलने का कोई शौक नहीं था। उनके पिता चाहते थे कि बेटा क्रिकेटर बने। तो उन्होंने पिता की इच्छा, उनका सपना पूरा किया।
जब धर्मशाला में उन्होंने टेस्ट डेब्यू किया था, तब की कहानी भी दिलचस्प है। मैच से एक दिन पहले ही अनिल कुंबले ने उन्हें बताया कि कल तुम खेल रहे हो। साथ में यह भी कह दिया कि पांच विकेट लेने हैं तुम्हें। कुलदीप तो सन्न रह गए थे। पल भर के लिए उनके मुंह से आवाज ही नहीं निकली। फिर, उन्होंने कहा था- जी सर, लूंगा।
कुलदीप भारी दबाव में थे। इतना दबाव था कि जब शिवराम कृष्णन ने कैप पहनाया तो उस समय उनकी कही गई बातें तक उन्हें याद नहीं रहीं।
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मैच शुरू हुआ। अच्छा प्रदर्शन करने के दबाव से वह उबर ही नहीं पा रहे थे। तभी अचानक उन्होंने फैसला किया कि रणजी क्रिकेट समझ कर इसे खेलना है। यह ख्याल आते ही दबाव गायब हो गया था।
कुलदीप ने दो ओवर बोलिंंग की। उसके बाद लंच ब्रेक हो गया। उन्होंने खाना खाते हुए मन ही मन डेविड वार्नर का विकेट लेने का प्लान बनाया। उन्होंने तय किया कि पहले दो-चार बॉल नॉर्मल फ्लाइट करूंगा। फिर फ्लिपर करूंगा तो शायद वह बैकफुट पर जाए और बोल्ड हो जाए।
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लंच के समय बनाई गई रणनीति पर उन्होंने अमल किया और वह कारगर साबित हुई। डेविड वार्नर कुलदीप यादव के पहले शिकार बन गए। वह क्षण कुलदीप के लिए बड़ा भावुक करने वाला था। उनकी आंखें नम हो गई थीं।
कुलदीप बड़े सामान्य परिवार से आते हैं। कुलदीप के पिता राम सिंह यादव ईंट का भट्ठा चलाते थे। उन्हें व्यापार में काफी नुकसान भी उठाना पड़ा था। कुलदीप ने भी अभाव के दिन देखे हैं। वह जब प्रैक्टिस करते थे तो स्पाइक्स तक नहीं होते थे। उन दिनों को कुलदीप भूले नहीं हैं। तभी आज कुलदीप किसी बच्चे को प्रैक्टिस करते देखते हैं और उनके पास स्पाइक्स, ड्रेस आदि नहीं होती तो उन्हें मुहैया कराते हैं।
एक बार कुलदीप बेंगलुरु से मुंबई एक फ्लाइट में आ रहे थे तो फ्लाइट में आलू कुलचे खाने को दिया गया। कुलदीप ने मजाक में अपने दोस्त से कहा 5000 रुपए ये आलू-कुलचे खाने के लिए खर्च किए थे।