तिलक वर्मा: त्यागी गुरू मिल गया तो नाम करने लगा बिजली मिस्त्री का बेटा, उधार के बल्ले से लगाई थी पहली सेंचुरी
तिलक वर्मा ने आईपीएल 2023 की शुरुआत में ही बल्ले से शानदार चमक बिखेरी। 2 अप्रैल, 2023 को सीजन का पांचवा मैच मुंबई इंडियंस (एमआई) और रॉयल चैलेंजर्स बेंगुलुरु (आरसीबी) के बीच हुआ। इस मैच में मुंबई टीम कुछ खास नहीं कर सकी और हार गई, लेकिन तिलक वर्मा ने सबका दिल जीत लिया। उन्होंने 46 गेंद पर 84 रन ठोंक डाले। महेंद्र सिंंह धौनी स्टाइल में हेलिकॉप्टर शॉट भी लगाया।
IPL में 397 रन बना ऋषभ पंत के 366 रन का रिकॉर्ड तोड़ दिया था
तिलक वर्मा ने जब मुंबई इंडियंस के साथ आईपीएल में अपना डेब्यू किया था तो वह उस सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले टीनएजर बने थे। उन्होंने 397 रन बनाए थे और 2017 में ऋषभ पंत के 366 रन का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। इसके बाद ही सुनील गावस्कर और रोहित शर्मा जैसे दिग्गज ने कहा था कि तिलक वर्मा भारत के लिए किसी भी फॉर्मेट में बेहतर खिलाड़ी हो सकते हैं।
तिलक वर्मा आज जो भी हैं वह अपने कोच सलाम बायस की वजह से हैं। गरीब को ऐसा गुरू मिला कि उसका कल्याण हो गया। पैसे की ऐसी तंगी थी कि उन्होंने अपना पहला शतक उधार के बल्ले से मारा था। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि अपना एक बैट खरीद सकें।
कोच सलाम बायस ने बरकसा ग्राउंड पर खेलते देख प्रतिभा को पहचान लिया था
वर्मा के बचपन के कोच सलाम बायस ऐसे जौहरी हैं जिन्होंने इस हीरे को पहचाना और काफी त्याग व तपस्या कर निखारा। बायस ने एक शाम बरकसा ग्राउंड पर तिलक वर्मा को ऐसे ही दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलते देखा। कुछ ही मिनट में उन्हें लग गया कि इस लड़के में आग है।
तब तिलक वर्मा केवल 11 साल के थे। बायस उनके पास गए और पूछा- ट्रेनिंंग कहां लेते हो? वर्मा ने कहा- मैं बस इसी ग्राउंड पर खेलता हूं।
बायस ने तिलक वर्मा के पिता से बात की। कहा- लड़के में बहुत संभावनाएं हैं, एकेडमी में दाखिला करा दीजिए। तिलक के पिता नंबूरी नागराजू बिजली मिस्त्री का काम करते थे। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए वह नहीं चाहते थे कि उनका बेटा क्रिकेट खेले।
वर्मा के घर से एकेडमी थोड़ा दूर था। आने-जाने में लगने वाले खर्च के डर से तिलक के पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा एकेडमी में दाखिला ले। बायस ने उन्हें इस चिंता से मुक्ति दे दी। कहा- न आपको इसके आने-जाने की चिंंता करनी है, न फीस की। इसके बाद पिता नंबूरी राजी हो गए।
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तिलक वर्मा की ट्रेनिंग जिस एकेडमी में हुई वह लिंगमपल्ली (हैदराबाद) में था और वर्मा के घर से 40 किलोमीटर दूर था। तिलक वर्मा का घर चंद्रायणगुट्टा ओल्ड सिटी हैदराबाद में था। सलाम बायस रोज बाइक से तिलक वर्मा को एकेडमी ले जाते थे। करीब एक साल यह सिलसिला चला। इसके बाद बायस ने तिलक के पिता से आग्रह किया कि एकेडमी के करीब ही रहने का इंतजाम कर लें तो अच्छा रहेगा।
नंबूरी नागराजू ने सलाम बायस की बात मान ली और एकेडमी के करीब रहने चले आए। वहीं पास में एक नौकरी भी कर ली। इसके बाद बायस इस डर से मुक्त हो गए कि बाइक से रोज आने-जाने में कहीं कोई हादसा न हो जाए।
लेकिन मुश्किल अभी भी थी। एकेडमी के पास रहने के लिए तिलक वर्मा आ तो गए थे, लेकिन पैसे की दिक्कत खत्म नहीं हुई थी। उनके पास 4-5 हजार रुपए भी नहीं थे कि एक बैट खरीद सकें। उन्होंने अपनी पहली सेंचुरी उधार के बल्ले से बनाई थी।
कोच बायस ने इसका भी रास्ता निकाला। उन्होंने तिलक को चैलेंज देना शुरू कर दिया कि आने वाले टूर्नामेंट में शतक बनाओ तो बेस्ट बैट्समैन अवार्ड में बैट ले जाओ।
चार साल बाद तिलक ने विजय मर्चेंट ट्रॉफी में हैदराबाद के लिए 900 से ज्यादा रन बनाए। इसके बाद वह हैदराबाद रणजी ट्रॉफी के संभावित खिलाड़ियों की लिस्ट में आ गए थे। यह बात 2018 की है और 2019 में उन्होंने हैदराबाद के लिए रणजी ट्रॉफी खेली।