2011 वर्ल्ड कप में जिताऊ छक्का जड़ना नहीं था मेरे लिए विनिंंग मोमेंट- महेंद्र सिंंह धौनी ने उस दिन को किया याद
साल 2011, मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम, मुकाबले में भारत और श्रीलंका की टीमें, दांव पर आईसीसी वर्ल्ड कप क्रिकेट की ट्रॉफी। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का आखरी छक्का और ट्रॉफी हो गई थी भारत के नाम। यह हसीन पल हर क्रिकेट फैन के दिमाग में होगा। लेकिन, उस पल टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के मन में क्या चल रहा था, क्या भाव उनके मन में आए थे, यह किसी को पता नहीं होगा।
भारत को दूसरा विश्व कप जिताने वाली क्रिकेट टीम के कप्तान रहे धौनी
भारत को दूसरा विश्व कप जिताने वाली क्रिकेट टीम के कप्तान रहे धौनी ने यह बात सार्वजनिक की है कि मैच के दौरान उनके लिए कौन सा पल ‘विनिंंग मोमेंट’ रहा था और उनके दिमाग में क्या चल रहा था। धौनी ने बताया कि उनके लिए जिताऊ छक्का मारना मैच का विनिंग मोमेंट नहीं था, बल्कि 15:20 मिनट पहले ही उनके लिए वह पल आ गया था।
वह बोले- हमें बहुत ज्यादा रन बनाने की जरूरत नहीं थी। अच्छी साझेदारी चल रही थी। ओस भी काफी थी और पूरा स्टेडियम वंदे मातरम गाने लग गया था। वह जो माहौल था, उसे बयां करना मेरे लिए काफी मुश्किल है। ऐसा तभी हो सकता है जब फिर वही सीन बने और 40 50 या 60,000 लोग गाने लग जाएंं।
धौनी ने यह बात ऑस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज माइक हसी के साथ बातचीत में कही। वे आईसीसी के एक इवेंट में बातचीत कर रहे थे। यह आयोजन 2011 के वर्ल्ड कप की 12 वीं सालगिरह मनाने के लिए 2 अप्रैल 2023 को मुंबई में किया गया था।
2011 के वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले की बात करें तो श्रीलंका 50 ओवर में छह विकेट पर 274 रन बना चुका था। उसके बाद भारत बल्लेबाजी कर रहा था। भारत के 3 विकेट पर 114 रन हुए थे। तभी गौतम गंभीर के साथ पारी को आगे बढ़ाने के लिए महेंद्र सिंह धौनी मैदान पर आए थे। धोनी ने नाबाद 91 रन की पारी खेली और छक्के के साथ भारत को जीत दिला दी।
धौनी ने गौतम गंभीर के साथ 109 रन की पारी खेली। गौतम गंभीर के आउट होने के बाद युवराज सिंह मैदान पर आए थे। धोनी ने उनके साथ भी 54 रनों की पारी खेली।
धौनी ने छक्का लगाकर जीत दिलाई थी, लेकिन उन्होंने कहा कि मेरे लिए विनिंग मोमेंट यह नहीं था। वह पल 15-20 मिनट पहले ही आ चुका था। तब मैं भावनात्मक रूप से काफी मजबूत था और हमें यकीन हो गया कि अब हम जीतेंगे ही।
महेंद्र सिंह धौनी ने यह भी बताया कि उनके दिमाग में सचिन तेंदुलकर का सपना सच करने की भी बात चल रही थी। वे दोनों वर्ल्ड कप के बारे में यही सब बातें किया करते थे।
धौनी ने कहा- हम सब जानते थे कि यह पाजी (तेंदुलकर) का अंतिम विश्व कप था और पूरे टूर्नामेंट में हम इस भावना के साथ खेल रहे थे कि हमें उनके लिए जीतना है।