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Harmanpreet Kaur First Coach: मेरे को पहला कोच मिला है, जो कह रहा है कि आप क्रिकेट खेलो, हरमनप्रीत कौर ने बताई बचपन की बातें

Women Cricketer Harmanpreet Kaur Coach: Indian Women Cricket, WPL

Women Cricketer Harmanpreet Kaur Coach: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ी स्मृति मंधाना। (फोटो- फेसबुक)

Harmanpreet Kaur First Coach: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान और जीनियस खिलाड़ी हरमनप्रीत कौर ने बड़े संघर्ष और मेहनत के बल पर ऊंचाइयां छुई हैं। महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने पॉडकॉस्ट ‘ब्रेकफास्ट विथ चैंपियन’ में हॉस्ट गौरव कपूर के साथ बातचीत में अपने क्रिकेट जीवन की शुरुआत होने की रोचक स्टोरी सुनाई। उन्होंने बताया कि क्रिकेट की शुरुआत सबसे पहले हम लोगों ने मोगा में की थी। वो प्रिंसिपल थे कमलदीप सिंह सोढ़ी। सर वहां वॉक के लिए आते थे। वो मुझे रोज देखते थे ब्वॉयज के साथ कभी कोई स्पोर्ट्स खेलते हुए तो कभी कोई और स्पोर्ट्स खेलते हुए।

Harmanpreet Kaur First Coach: सर ने पूछा तुझे क्रिकेट खेलनी है या फुटबाल? मैंने कहा क्रिकेट

फिर एक दिन मेरे पास आए पूछे तुझे क्रिकेट खेलनी है या फुटबाल खेलना है या वालीबाल खेलना है। ये बताओ दिलचस्पी किसमें है। मैंने बोला सर मेरे को क्रिकेट खेलनी है। क्रिकेट कैसा था कि टीवी पर बहुत आता था। और सारे आइडल जो थे वे दिखते थे। मैंने विरेदर सहवाग को बचपन से फॉलो करा है। मतलब क्रिकेट ही खेलना है। और किसी भी खेल को देखा नहीं था।

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आय थिंक मेन वजह वह भी था। फिर सर आए मुझे कहते हैं कि क्रिकेट खेलनी है तो हम लड़कियों का भी स्टार्ट कर देंगे। हरमन बताती है कि जिंदगी में एक समय एक पॉज आता है लड़कियां खेलती हैं क्रिकेट, मैंने किसी लड़की को देखा नहीं था क्रिकेट खेलते हुए। मैंने बोला सर क्या बात कर रहे हैं लड़कियां क्रिकेट भी खेलती हैं। कहते हैं, हां खेलती हैं। क्यों नहीं खेलती हैं, मेरे स्कूल आ जाओ।

तो दसवीं की मैंने तभी परीक्षा दी थी। वह जो समय होता है तीन महीने का गैप, जो सबसे ज्यादा एक स्टूडेंट के लिए मजे वाला टाइम होता है। वो भी ले लिया। कहते हैं, स्कूल आ जाओ नेक्स्ट डे से। मैंने बोला तीन महीने बाद आऊं क्या? अभी मेरा समय खेलने का आया है। तीन महीने बाद स्कूल ज्वाइन करती हूं सर। रिजल्ट आने दो, हां अभी व्यस्त चल रहे हैं थोड़ा।

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वो बोले खेलना है कि नहीं? मैंने कहा खेलना है। बोले-अभी पापा को बुलाओ। तो घर के सामने मैदान था। पापा छत पर खड़े होकर खेलते हुए हमें देखते रहते थे। पापा को हाथ हिलाया, पापा प्लीज सर से मिल लो। सर बहुत इंट्रेस्टेड हैं। मेरे को पहला कोच मिला है। जो कह रहा है कि आप क्रिकेट खेलो। पापा आए, इन्होंने पता नहीं क्या बातें की। पंद्रह मिनट में सब डिसाइड हो गया।

नेक्स्ट डे मेरी यूनिफार्म आदि सब कुछ आ गया। मुझे स्कूल जाना पड़ रहा है। मेरे सारे फ्रेंड्स चिढ़ा रहे हैं। देख सुबह के सात बजे रात के सात बजे तक खेलते हैं हम, तू कहां हैं? उस टाइम भी मुझे ऐसा लगता है कि मुझे खेलना है। इंडिया खेलना है। कैसे खेलना है किसके साथ खेलना है। कुछ नहीं पता। तो फिर जिन लड़कों के साथ खेलती थी, उनको मैंने बोला, “यार मुझे भी इंडिया खेलना है।” तो वो भी कहां खेलना है।” एक ड्रीम तो था।

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