Harbhajan Singh and Sourav Ganguly Relation: भारतीय क्रिकेट टीम के शीर्ष खिलाड़ियों में रहे सौरव गांगुली अपनी टीम के लिए अक्सर प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। वह एक अच्छे बल्लेबाज, कप्तान से लेकर बीसीसीआई के चेयरमैन तक बने। वह जितनी ऊंचाइयों को छुए उतनी ही सादगी से रहे। एक कार्यक्रम में मंच शेयर कर रहे टीम इंडिया के खिलाड़ी रहे हरभजन सिंह ने उनके बारे में अपनी भावनाएं कुछ ऐसे रखी। कहा जब सब तरफ अंधेरा था तब दादा ने हमें रोशनी दिखाई।
Harbhajan Singh and Sourav Ganguly Relation: बोले- मेरा असल भाई कोई नहीं है, लेकिन दादा से बड़ा कोई नहीं
कलकत्ता के साथ हमारा संबंध कुछ अलग तरह का ही रहा है। काली मां का आशीर्वाद रहा है। दादा का मतलब बड़ा भाई होता है। वह हमारे बड़े भाई है। हमारा असल में कोई बड़ा भाई नहीं है। अगर हमारा बड़ा भाई होता तो वह भी उतना नहीं करता, जितना इन्होंने मेरे लिए किया है। कई बार मैंने गलतियां कीं, एनसीए से निकाल दिया गया। बहुत कुछ ऐसा हुआ, मेरे फादर नहीं रहे। लेकिन उस मुश्किल दौर में एक ही बंदा मेरे साथ खड़े थे, वह थे सौरव गांगुली।
Harbhajan Singh and Sourav Ganguly Relation:भज्जी बोले- कोई कप्तान कितनी भी ऊंचाई छू ले, दादा का रुतबा नहीं पाएगा
जिंदगी में मेरे साथ और कोई खड़ा रहे या न रहे, इनके साथ खड़ा रहे या न रहे, हर भजन सिंह इनके साथ मरते दम तक खड़ा रहेगा। भारतीय क्रिकेट में कोई भी कैप्टन हो, वह हजार मैच जीत ले, एचीवमेंट कर ले नंबरवाइज, लेकिन कोई भी इनके रुतबे को मैच नहीं कर पायेगा। यह मेरा दावा है और मेरा मानना भी है।
मेरे बारे में बहुत कुछ बोली गई थी, कही गई थी, सेलेक्टर ने मुझे बोला कि बैकडोर एंट्री नहीं होने दूंगा। तब सौरव गांगुली और जॉन राइट ने मुझे बुलाया था और कहा कि इस लड़के को देखो। कोई भी कप्तान ऐसा नहीं करेगा। कोई भी आउट ऑफ वे जाकर ऐसा नहीं करेगा। लेकिन इनकी वजह से मुझे टीम में जगह मिली और मैं इनके भरोसे पर खरा उतर सका।
वे बोले-काली मां के आशीर्वाद से मैं बहुत कुछ कर सका। मैं जो कुछ पा सका उसमें दादा का बड़ा योगदान है। मैं कलकत्ता जब आया था तब जीरो था, कलकत्ता ने मुझे हीरो बनाकर भेजा।