सलीम दुर्रानी। जिंदादिल, हमेशा मस्त जिंदगी जीने वाले। 88 साल जीकर दो अप्रैल, 2023 को दुनिया से रुखसत हो गए। वैसे उन्होंने टेस्ट मैच तो केवल 29 खेले, 75 विकेट लिए और 1202 रन बनाए। लेकिन, क्रिकेट पर उनकी छाप अमिट रही। वह जनता की डिमांड पर छक्का जड़ने वाले क्रिकेटर के रूप में जाने गए।
ठाठ से जीने और जिंदादिल इंसान की थी पहचान
उन्हें उनके करीबी शराब के दीवान, गोल्ड फ्लेक सिगरेट के लती और शाही ठाठ से जीने वाले जिंदादिल इंसान के रूप में जानते हैं। माली तंगी के दौर के बावजूद उनकी ऐसी ही छवि रही।
काबुल में हुआ था जन्म, जामनगर में गुजरा जीवन
सलीम दुर्रानी का जन्म तो काबुल में हुआ था, लेकिन उन्होंने जिंदगी जामनगर (गुजरात) में गुजारी। इस शहर का भी क्रिकेट से तगड़ा रिश्ता है। वीनू माकड़ की तस्वीर एक चौराहे पर आज भी इस रिश्ते का गवाह है। यही नहीं, इस शहर पर कभी क्रिकेट के दिग्गज महाराजा रणजीत सिंह का राज हुआ करता था।
सूरत पर फिदा हो गया बॉलीवुड, दुकानदार नहीं लेते थे पैसे
सलीम दुर्रानी ने 1960 में पहला टेस्ट मैच खेला था। जब वह मैदान पर उतरे तो फिल्म वाले उनकी सूरत पर फिदा हो गया। उनके दोस्त देव आनंद ने पूछा- हीरो बनोगे? फिर क्या था। जल्द ही परवीन बाबी एक फिल्म में उनकी हीरोइन थीं। बाद में दोनों की दोस्ती भी हो गई। अशोक कुमार, मीना कुमारी, शिवाजी गणेशन, जेमिनी गणेशन जैसे फिल्मी दिग्गजों के साथ उनका उठना-बैठना होने लगा।
नेता हो या कारोबारी या महाराजा, हर कोई उनकी शोहबत चाहता था। सलीम दुर्रानी की लोकप्रियता ऐसी हो गई थी कि दुकानदार उनसे पैसे लेने से मना कर दिया करते थे।
वह खुद शाही ठाठ से जीते थे तो इसका यह मतलब कतई नहीं कि गरीबों का दर्द नहीं समझते थे। एक बार कोई बूढ़ा भिखारी सर्दी की रात में उनके पास आया। सलीम साहब ने राजस्थान क्रिकेट का स्वेटर अपने शरीर से उतार कर उस बूढ़ी महिला को दे दिया। साथ में दस रुपए भी दिए। उस जमाने में दस रुपए की भारी कीमत थी। यह अलग बात है कि जब किसी ने उन्हें डराया कि आफिशियल स्वेटर देने से मुसीबत आ सकती है तो वह थोड़ा तनाव में आ गए थे।