Father Role In Life: हर किसी की सफलता में किसी न किसी का योगदान होता ही है। जिंदगी के तमाम ऐसे मोड़ आते हैं जहां पर मन भटकने लगता है, लेकिन जब माता या पिता का हाथ होता है तब भटकाव दूर-दूर तक नहीं आ पाता है। सफलता मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
Father Role In Life: पिता ने तय कर रखा था क्रिकेटर ही बनाना है
क्रिकेटर शुबमन गिल और पृथ्वी शॉ आज जिस मुकाम पर हैं, वहां पहुंचाने में उनके पिता का बड़ा हाथ है। ये दोनों ऐसे बच्चे थे, जिनके पिता ने तय कर रखा था कि बड़ा होकर बेटा क्रिकेटर ही बनेगा। इसके लिए उनके पिता लोगों ने काफी मेहनत की और त्याग किया।
शुभमन गिल के पिता ने नाते-रिश्तेदारों के यहां किसी आयोजन में भी जाना छोड़ दिया था। उन्हें लगता था कि वहां गए तो शुभमन की प्रैक्टिस छूट जाएगी। और यह तब की बात है जब शुभमन केवल 4 साल के थे।
दीवार पर बॉल फेंकने के बाद बाउंस होकर आने पर बल्ले से मारा करते थे। उनके पिता ने हिदायत दे रखी थी कि प्रैक्टिस किसी हाल में नहीं छूटनी चाहिए। अगर प्रैक्टिस कराने के लिए कोई बोलर उपलब्ध नहीं हो तो बॉल दीवार पर फेंक कर प्रैक्टिस किया करते थे।
शुभमन के पिता किसान थे। पंजाब के गांव में रहते थे। लेकिन बेटे को क्रिकेट का बढ़िया माहौल देने के लिए गांव छोड़ चंडीगढ़ रहने के लिए आ गए थे।
पृथ्वी शॉ केवल 4 साल के थे, जब उनकी मां दुनिया को अलविदा कह गई थीं। लेकिन, पिता ने बेटे को क्रिकेटर बनाने का सपना नहीं छोड़ा। मां का रोल भी खुद निभाया। रोज सुबह-सुबह घर का जरूरी काम निपटा कर पृथ्वी को विरार से बांद्रा ट्रेनिंग के लिए भेजते थे। उनका विरार में कपड़े का बिजनेस था। वह भी उन्होंने छोड़ दिया, क्योंकि लोकल ट्रेन में अकेले सफर कर पृथ्वी विरार से बांद्रा नहीं जा सकते थे। वह खुद उनको लेकर जाते थे।