क्रिकेटर सुरेश रैना के पिता चाहते थे कि बेटा क्रिकेट पर कम और पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे। लेकिन, रैना का हिसाब उल्टा था। वह बोर्डिंंग स्कूल में गए। उनके पिता ने कहा- 50% क्रिकेट, 100% पढ़ाई। रैना ने जवाब दिया- 100% क्रिकेट, 50% पढ़ाई। रैना को स्कूल में भी रैगिंंग का सामना करना पड़ा था।
कम उम्र में ही परिवार से दूर रहने का मलाल सुरेश रैना को हमेशा रहा है। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वह अपनी मां के साथ ज्यादा वक्त बिता नहीं पाए। वह कम उम्र में ही बोर्डिंंग स्कूल चले गए थे। वहां काफी दिक्कतें थीं। लेकिन, मां को पॉजिटिव बातें ही बताते थे।
रैना और उनकी पत्नी प्रियंका ने बार्सिलोना में हनीमून के वक्त ही तय कर लिया था कि अगर उन्हें बेटी हुई तो उसका नाम ग्रैशिया रखेंगे। और, ऐसा ही हुआ।
बेटी के जन्म के बाद रैना की पत्नी प्रियंका ने समाज के लिए कुछ करने का फैसला किया तो उन्होंने बेटी के नाम पर ही एक फाउंडेशन (जीआरएफ) बनाया। यह फाउंडेशन गर्भवती महिलाओं के लिए काम करती है, ताकि वे सुरक्षित बच्चे का जन्म दे सकें और गर्भ में ही बच्चे की मौत न हो।
सुरेश रैना जब पहली बार विदेश दौरे पर गए तो उन्हें इंग्लैंड जाने का मौका मिला। वहां डॉरमैटरी में टीम को ठहराया गया था। रात को कई साथी डर भी रहे थे। दिल्ली के अभिषेक शर्मा ने शेखी बघारी- अरे डरने की कोई बात नहीं, जो होगा देख लेंगे। रात बढ़ी तो खुद वही कहने लगा- मुझे डर लग रहा है।
सुरेश रैना का जन्म 27 नवंबर 1986 को उत्तर प्रदेश के मुरादनगर (गाजियाबाद) में हुआ था। उन्होंने वनडे क्रिकेट में डेब्यू 2005 में किया था, जबकि पहला टेस्ट मैच 2010 में खेला था।