Fast Bowling And Aggressive Batting: भारत के महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर जब क्रिकेट खेलते थे, तब कैरेबियाई टीम वेस्टइंडीज के खिलाड़ी क्रिकेट की दुनिया में सुपर फास्ट बॉलिंग के लिए जाने जाते थे। उनकी हर गेंद किसी भी टीम के के बल्लेबाज के लिए खौफनाक बनकर आती थी। बल्लेबाज की जरा सी चूक उनके लिए खतरा बन सकती थी।
Fast Bowling And Aggressive Batting: सनी को बिना हेलमेट देख कैरिबियन प्लेयर्स भी रहते थे चिंतित
कई खिलाड़ी हेलमेट और दूसरे सुरक्षा पैड्स लगाकर भी इतनी तेज बॉलिंग को खेलने में डरते थे। इनके बीच भारत के सुनील मनोहर गावस्कर एक ऐसे खिलाड़ी थे, जो हेलमेट का उपयोग नहीं करते थे। वह जब मैदान में उतरते थे तो वेस्टइंडीज के खिलाड़ी भी चिंतित हो जाते थे।
बात 1983-84 की है। भारत विश्व कप जीत चुका था। एक टेस्ट मैच के दौरान गावस्कर आउट नहीं हो रहे थे। वेस्टइंडीज के बॉलर एक से बढ़कर एक खतरनाक बॉलिंग करके उनको आउट करने में लगे थे, लेकिन वे सफल नहीं हो पा रहे थे।
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इससे वेस्टइंडीज के मैल्कम मार्शल चिढ़ गये। उन्होंने जानबूझकर एक ऐसी गेंद फेंकी, जिससे गावस्कर का बल्ला टूट गया। गावस्कर को पता था कि यह जानबूझकर किया गया है। वे शांत रहे।
दूसरे टेस्ट मैच में मैल्कम मार्शल को जवाब देने की तैयारी के साथ सुनील गावस्कर मैदान में उतरे थे। जब मार्शल उनको गेंदबाजी करना शुरू किए तो गावस्कर उनकी गेंदों पर एक के बाद एक लगातार कई चौके और छक्के मार गए। यह गावस्कर का 29 वां टेस्ट शतक था। गावस्कर ने इसमें 94 गेंदों पर 121 रन बनाए थे।
खास बात यह है कि इस शतक के साथ गावस्कर ने सर डॉन ब्रैडमैन के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली थी। उन्होंने यह बराबरी अपने 95वें टेस्ट मैच में की थी। इस उपलब्धि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनको सम्मानित किया था।
इसके बाद चौथे टेस्ट मैच यानी 99 वें टेस्ट मैच में फिर शतक बनाकर गावस्कर ने सर डॉन ब्रैडमैन के वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। गावस्कर की इस बेखौफ बल्लेबाजी और खेल के प्रति समर्पण को वेस्टइंडीज की टीम भी सलाम करती थी।