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Downfall days Of Sourav Ganguly: करियर के वो सबसे कठिन सात दिन, सौरव गांगुली ने खुद से कहा- ये दिन भी गुजर जाएंगे

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Downfall days Of Sourav Ganguly: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान, बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली। (फोटो- फेसबुक)

Downfall days Of Sourav Ganguly: आम लोगों की तरह खिलाड़ियों के जीवन में भी काफी उतार-चढ़ाव के दौर आते हैं। प्लेयर्स के सामने हालात ऐसे हो जाते हैं कि वह बेबस, लाचार और एक तरह से खुद को बेरोजगार समझने लगता है। आप खिलाड़ी हैं तो जरूरी नहीं कि हर बार आप राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय टीम का हिस्सा बने ही। कई बार आपको खाली बैठना पड़ता है। यह सबके साथ हो सकता है। हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी मेहनत और लगन से टीम में जगह बनाए रखने में कामयाब रहते हैं।

Downfall days Of Sourav Ganguly: सौरव को पता नहीं था कि टीम में कब वापस आएंगे

2008 में गांगुली टीम से बाहर हो गये थे। उन्हें नहीं पता था कि अब वह कब टीम में वापस आएंगे। उनके सामने अंधकार जैसे हालात थे। गांगुली चुप नहीं बैठना चाहते थे। वे परेशान जरूर थे, लेकिन शांत नहीं थे। वे खेलना चाहते थे। जब उन्हें कहीं कोई रास्ता नहीं दिखा तब उन्हें केवल एक क्रिकेट टूर्नामेंट के बारे में जानकारी मिली। वह था चंडीगढ़ में जेपी अत्र्या मेमोरियल ट्रॉफी। उन्होंने पंजाब क्रिकेट बोर्ड के एमपी पांडोव को फोन किया और उनसे किसी टूर्नामेंट में खेलने का अवसर देने को कहा। सौरव गांगुली ने खुद से कहा- ये दिन भी गुजर जाएंगे।

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गांगुली कहते हैं, “इस टूर्नामेंट के प्रति उनके मन में कोई अनादर भाव नहीं था, लेकिन नार्थ इंडिया को छोड़कर अधिकतर लोग शायद ही जेपी अत्र्या मेमोरियल ट्रॉफी के बारे में कभी सुने हों। यहां तक कि मैं भी इसके बारे में थोड़ा-बहुत ही जानता था, लेकिन अब चीजें अलग थीं। देखिए, कोई भी हमेशा शीर्ष पर नहीं रहा है और न ही रहेगा। जितना अधिक आप अपने मन को सबसे खराब स्थिति में रखेंगे, उतना ही आप शीर्ष पर आराम महसूस करेंगे। मुझे लगा कि मुझे जाकर खेलने की जरूरत है। तो मैंने किया। कोई अहंकार नहीं। कोई नेगेटिव विचार नहीं। मैंने सिर्फ स्थिति पर अपने विचार रखी।”

गांगुली ने कहा यह मेरे क्रिकेट करियर के सात सबसे कठिन दिन थे। 400 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के बाद मुझे एक ऐसा टूर्नामेंट खेलना पड़ा, जहां मैं किसी भी खिलाड़ी को जानता तक नहीं था।

हालांकि मैंने 18,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय रन बनाए थे, लेकिन मुझे यहां जो रन बनाने थे, वे मुझे किसी भी अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच की तरह ही जरूरी लगे। ये रन मुझसे अंदर से बात कर रहे थे। मुझे बता रहे हो, तुम अभी भी काफी अच्छे हो, अभी भी कहीं भी रन बनाने में सक्षम हो। आपके प्यार ने आपको नहीं छोड़ा है। खेल के लिए प्यार।

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