Dilip Doshi fractured Legs and bowling in Melbourne Test: क्रिकेट दुनिया भर में काफी लोकप्रिय खेलों में से एक है। 80 के दशक तक यह कई देशों में खेला जाने लगा था। तब खिलाड़ियों के पास आज की तरह की न तो सुविधाएं होती थीं और न ही इतना पैसा मिलता था। हालांकि खिलाड़ियों का अपने प्रदर्शन में पूरा समर्पण दिखता था।
Dilip Doshi fractured Legs and bowling in Melbourne Test: दिलीप दोषी को आज की पीढ़ी के लोग कम ही जानते हैं
उस दौर में एक क्रिकेटर रहे हैं दिलीप दोषी, जिन्हें आज की पीढ़ी के लोग कम ही जानते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम 1981 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी। टीम इंडिया को वहां तीन टेस्ट मैच खेलने थे। उस समय सुनील गावस्कर नए-नए कप्तान बनाए गये थे।
पहला मैच टीम इंडिया एक पारी से हार गई और दूसरा मैच ड्रा हो गया। इसके बाद तीसरा मैच भारत के लिए जीतना जरूरी हो गया था।
Dilip Doshi fractured Legs and bowling in Melbourne Test: दिलीप दोषी मैच छोड़ने के लिए बिल्कुल इच्छुक नहीं थे
दिलीप दोषी ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें भरोसा था कि भारत मैच जीत जाएगा। वह खुद इस मैच में हर हाल में खेलना चाहते थे। हालांकि वह घायल थे और उनके पैर में फ्रैक्चर था। इससे पैर में सूजन था। नियम के मुताबिक वह अनफिट थे और टीम इलेवन में खेला जाना मुश्किल था, लेकिन दिलीप दोषी यह मैच छोड़ने के लिए बिल्कुल राजी नहीं थे।
इस वजह से वह मैच से दो दिन पहले से ही इलेक्ट्रॉड लगाकर उसके झटके लेते थे। इससे असहनीय पीड़ा होती थी, लेकिन दिलीप दोषी पीड़ा सहन करके भी खेलने के इच्छुक थे। इसलिए वे इलेक्ट्रॉड लगवाते थे। इसको लगवाने से फ्रैक्चर तो ठीक नहीं हो सकता था, लेकिन पैर की सूजन जरूर कम हो जाती थी।
बहरहाल दिलीप दोषी मैच में खेले और अच्छा खेले। दिलीप दोषी अपनी लेफ्ट आर्म स्पिन के लिए जाने जाते थे। पहली पारी में तीन और दूसरी पारी में दो विकेट लिए थे। इस मैच में गुंडप्पा विश्वनाथ को शतक बनाने पर मैन ऑफ द मैच चुना गया।
माना जाता है कि यह मैच भारत ने दिलीप दोषी और गुंडप्पा विश्वनाथ की वजह से ही जीती। अगर दिलीप दोषी दोनों पारियों में विकेट नहीं ले पाते तो भारत मैच हार जाता। इस तरह तीन टेस्ट मैचों की इस सीरीज में एक मैच ऑस्ट्रेलिया ने जीता, दूसरा ड्रा रहा और तीसरा मैच भारत ने जीता।