Daren Sammy and Racism Comment: वेस्टइंडीज के पूर्व क्रिकेट कप्तान डैरेन सैमी (Daren Sammy) नस्लवाद टिप्पणियों पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा है कि दुनिया इससे पूरी तरह मुक्त नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि वे और उनके जैसे कई खिलाड़ी इसके शिकार बन चुके हैं, और अब भी बन रहे हैं।
Daren Sammy and Racism Comment: अमेरिकी घटना से खुद को जोड़ा था
अमेरिका में 25 मई 2020 को एक बड़ी घटना हुई थी। तब वहां एक गोरे पुलिस अधिकारी ने एक ब्लैक मैन जॉर्ज फ्लॉयड के गले पर चढ़कर जान ले ली थी। उस घटना को दुनिया भर में नस्लवाद के रूप में देखा गया और और जबर्दस्त विरोध हुआ था। इसका असर क्रिकेट पर भी दिखा था।
IPL में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) की ओर से खेलने के दौरान हुई थी घटना
एक इंटरव्यू के दौरान वेस्ट इंडीज क्रिकेटर डेरेन सैमी ने भी अपने साथ हुई इस घटना का किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) की ओर से खेलने के दौरान टीम के कुछ साथी नस्लवादी टिप्पणी करते थे। उनके आरोपों का दिग्गज खिलाड़ी क्रिस गेल ने भी समर्थन किया था।
क्रिकेट अब दुनिया के कई देशों में खेला जाता है। यह काफी लोकप्रिय खेल हो चुका है। इसमें वे देश भी हैं, जो खुद को व्हाइट कहते हैं और वे देश भी हैं जिन्हें ब्लैक मैन कहा जाता है। नस्लवाद कहने को तो खत्म हो चुका है, लेकिन यह कभी न कभी किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाता है। वेस्ट इंडीजियन क्रिकेटर डेरेन सैमी ने कहा कि भारत में उन्हें ‘कालू’ कहा जाता था। भारत में कालू शब्द अपमानजनक है और यह खास तौर पर उन लोगों को कहा जाता है जिनकी बॉडी का रंग सांवला या डार्क होता है।
ईएसपीएन क्रिकइन्फो को दिए एक इंटरव्यू में सैमी ने कहा कि जिस वक्त उन्हें और श्रीलंकाई ऑलराउंडर थिसारा पेरारा को ‘कालू’ कहा जा रहा था, उस वक्त वे नहीं जानते थे कि इस शब्द का मतलब क्या है, लेकिन कई साल बाद जब वे अमेरिका में एशियाई और अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय को एकजुट होने के लिए स्टैंड-अप कॉमेडियन हसन मिन्हाज की 12 मिनट का अपील करने वाला वीडियो देखी, तब उन्हें पता चला कि यह अपमानजनक शब्द है और गाली के रूप में प्रयोग किया जाता है।
उन्होंने कहा कि वे और श्रीलंकाई क्रिकेटर थिसारा पेरारा दोनों उस दौरान नस्लवादी टिप्पणियों के शिकार बने थे। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि दोनों खिलाड़ियों ने उसी समय विरोध क्यों नहीं किया, तो सैमी ने कहा कि एक तो उन्हें इसका मतलब नहीं पता था, दूसरा अपने साथ हुए अन्याय के लिए आवाज उठाने का कोई समय नहीं होता है। कई साल बाद आवाज उठाने से अन्याय न्याय नहीं हो जाता है, वह अन्याय ही रहेगा।
वेस्ट इंडीज के दिग्गज खिलाड़ी क्रिस गेल ने उनकी बात का पूरी तरह से समर्थन करते हुए कहा कि नस्लवाद अभी खत्म नहीं हुआ है।