रवि शास्त्री एक शांत, सोबर और विवादों से दूर रहने वाले खिलाड़ी रहे हैं। उनके प्रशंसक उनकी खेल प्रतिभा से ज्यादा उनके स्वभाव और प्रकृति के दीवाने हैं। रवि शास्त्री के जीवन के किस्से बहुत ही प्रेरक और मजेदार हैं। एक इंटरव्यू के दौरान रवि शास्त्री ने ऐसे कई किस्से बताये।
उन्होंने बताया कि उनकी मां क्रिकेट की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं। उनके पास क्रिकेटरों के बहुत से पिक्चर्स और तस्वीरें थीं। वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को फालो करती थीं और रेडियो में रेगुलर कमेंटरी सुनती थीं।
रवि के मुताबिक मां इतिहास की शिक्षिका थी और वह क्रिकेट के इतिहास के बारे में भी बहुत कुछ जानती थीं। बचपन में वह रवि को क्रिकेट के बारे में बहुत कुछ बताती और सिखाती रहती थीं। 13 वर्ष की उम्र में रवि ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था। 17 वर्ष की उम्र में वह बॉम्बे के लिए खेलना शुरू कर दिये थे और 18 वर्ष की उम्र में टीम इंडिया में शामिल हो गये थे।
उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता क्रिकेट के साथ-साथ पढ़ाई करने पर भी जोर देते थे। जब वह टीम इंडिया के लिए खेल रहे थे तो वे बारहवी में थे। इसके बाद उन्होंने बीकॉम किया। रवि ने बताया कि एक बार न्यूजीलैंड के दौरे से लौटा तो उसके एक हफ्ते बाद बीकॉम का फाइनल एक्जाम आ गया था। उन्होंने खेलने के साथ परीक्षा की तैयारी भी जारी रखी और फाइनल एक्जाम में बैठे और सफल रहे।
रवि ने बताया कि वह कभी शार्टकट में भरोसा नहीं रखते हैं, वे हमेशा काम को पूरे मन और लगन से करते हैं। कहा कि वे सबका रिस्पेक्ट करते हैं, चाहे वह विरोधी ही क्यों न हो। वह समय का इंजाय करते हैं और नई चीज सीखने के लिए उतावले रहते हैं।
फिटनेस को सबसे जरूरी मानते हैं। उनके घर में भी यह कल्चर है। क्रिकेटर के साथ वह एक इंसान हैं, इसलिए वह इसका ध्यान रखते हैं। उन्होंने बताया कि बचपन में वे मां से बहुत कुछ सीखे हैं।