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नवजोत स‍िंंह स‍िद्धू के प‍िता को क‍िसी ने ग‍िफ्ट की लेडी वाइन तो बेटे का नाम रख द‍िया शैरी

Former Cricketer | Team India Player | Najot Singh Sidhu

टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू। (फेसबुक)

क्र‍िकेटर से कमेंटेटर, एक्‍टर और नेता बने नवजोत स‍िंंह स‍िद्धू का न‍िक नेम ‘शैरी’ है। उन्‍हें यह नाम उनके प‍िता ने द‍िया था। और, इसके पीछे एक द‍िलचस्‍प कहानी भी है। यह कहानी एक टीवी शो में खुद स‍िद्धू ने सुनाई थी।

नवजोत स‍िंंह स‍िद्धू के प‍िता शराब पीते थे। एक बार क‍िसी ने उन्‍हें लेडी वाइन शैरी ग‍िफ्ट क‍िया। उन्‍हें बोतल बड़ी अच्‍छी लगी। उस समय प‍िता थोड़ा पीए हुए भी थे। उन्‍होंने कहा क‍ि अब इसका (बेटे का) नाम शैरी होगा। इस तरह नवजोत स‍िंंह स‍िद्धू ‘शैरी’ कहलाने लगे।

सबके ल‍िए नवजोत स‍िंंह स‍िद्धू ‘शैरी’ हो गए, लेक‍िन उनकी पत्‍नी नवजोत उन्‍हें ‘शेरू’ कह कर बुलाती हैंं। नवजोत पेशे से डॉक्‍टर हैं। उनके घर के बाहर एक चाईनीज खाने की दुकान थी। स‍िद्धू वहीं डटे रहते और नवजोत को देखते रहते।

काफी मशक्‍कत के बाद जब दोनों की मुलाकात हुई तो नवजोत इस असमंजस में पड़ गईं क‍ि इस क्र‍िकेटर लड़के के साथ कैसे न‍िभेगी। स‍िद्धू बड़े शर्मीले थे। बहुत कम बोलते थे। और फ‍िर क्र‍िकेटर भी थे। लेक‍िन, जब शादी हुई तो दोनों की खूब न‍िभी। स‍िद्धू अपनी कामयाबी में उनका अहम रोल मानते हैं। प‍िता की मौत के बाद जब दो-तीन महीने स‍िद्धू क्र‍िकेट से एकदम दूर हो गए और खेल शुरू ही नहीं कर पा रहे थे तो पत्‍नी नवजोत ने ही उन्‍हें बल्‍ला थामने के ल‍िए प्रेर‍ित क‍िया था।

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नवजोत स‍िंंह स‍िद्धू घर में सबसे छोटे थे। इसल‍िए बचपन से ही वह थोड़े ज‍िद्दी स्‍वभाव के थे। स‍िद्धू का मानना है क‍ि ज‍िद्दी होने का एक फायदा भी है। यह इच्‍छाशक्‍त‍ि बढ़ाता है और इसकी बदौलत व्‍यक्‍त‍ि अपने लक्ष्‍य प्राप्‍त‍ि के ल‍िए संकल्‍प ले लेता है। उसे सच करने के ल‍िए जूझता है। हालांक‍ि, यह उन्‍होंने अपनी ज‍िंंदगी में करके भी द‍िखाया।

जब पहले मैच में स‍िद्धू अच्‍छा नहीं खेले और एक अखबार में उन्‍हें ‘स्‍ट्रोकलेस वंडर’ बताया गया तो वह आर्ट‍िकल पढ़ कर उनके प‍िता रोने लगे थे। प‍िता को रोते देख और इसका कारण जानने के बाद स‍िद्धू ने अच्‍छा खेल द‍िखाने का संकल्‍प ले ल‍िया था। इसके बाद वह रोज लगातार घंटों प्रैक्‍ट‍िस करने लगे। सुबह-सुबह खुद नौकरों को साथ लेकर ग्राउंड जाते। रोलर चला, पानी छ‍िड़क प‍िच तैयार करते और घंटों प्रैक्‍ट‍िस करते। हाथों से खून र‍िसने पर भी नहीं रुकते।

इस घनघोर अभ्‍यास के बाद जब एक टूर्नामेंट से खेलने के ल‍िए बुलावा आया तो उन्‍होंने सात पार‍ियों में पांच शतक जड़े। इसी के बाद दोबारा टीम इंड‍िया में उनका चयन हुआ और 1987 के वर्ल्‍ड कप में उन्‍होंने शानदार चौके-छक्‍के जड़े।

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