क्रिकेटर मुरली विजय 16 साल की उम्र में घर से निकल गए थे। वह पढ़ाई में बहुत कमजोर थे। उनकी बहन, इसके ठीक उलट बहुत तेज थीं। दसवीं में उन्हें 98 फीसदी मार्क्स आए थे और मुरली को 40 प्रतिशत। वह दसवीं तो किसी तरह पास कर गए, लेकिन 12वीं पास नहीं कर पाए। उनके माता-पिता की उम्मीदें टूट गई थीं। वह खुद भी काफी निराश थे।
मुरली को लगा वह क्रिकेट में ही अच्छे हैं और क्रिकेट में ही आगे बढ़ना चाहिए। वह माता-पिता के पास गए और बोले कि मुझे घूमने जाना है। एक साल से घर में हूं अब बाहर जाकर मुझे देखना है कि खुद के लिए क्या कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि वह अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं। साथ ही, यह वादा भी किया कि कोई गलत काम नहीं करेंगे। पिता ने इजाजत दे दी। मुरली निकल गए।
मुरली ने एक पार्लर में काम शुरू किया। शुरू में वह पार्क में रहा करते थे। बाद में थोड़े पैसे कमाने लगे तो शेयरिंग में किराए की जगह ली। उस जगह उनके साथ कुछ और लोग भी रहते थे। उनका एक रूम पार्टनर टैक्सी चलाता था तो एक होटल में काम करता था।
मुरली ने छोटा-मोटा धंधा शुरू किया। संघर्ष के दिन खत्म नहीं हो रहे थे। वह जब मां से मिलने जाते तो मां पूछतीं- कैसा चल रहा है? वह मां को बताते सब अच्छा चल रहा है। मां को दिलासा देने के लिए वह झूठ यह भी बताते थे कि क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया है।
मुरली के पिता क्रिकेट को लेकर काफी जुनूनी थे। उन्हीं की वजह से मुरली ने भी क्रिकेटर बनने की ठानी थी। पढ़ाई में कमजोर होना तो एक वजह था ही।
मुरली विजय का जन्म एक अप्रैल, 1984 को चेन्नई में हुआ था। उन्होंने 2006 (6 नवंबर) से 2018 (दिसंबर 14) तक टेस्ट मैच खेला। उनका वनडे कॅरिअर 2008 में शुरू हुआ था और 2015 तक चला। आईपीएल में उन्होंने 2009 से खेलना शुरू किया और 2020 तक खेले।
मुरली ने कुल 61 टेस्ट, 17 वनडे और 106 आईपीएल मैच खेले। शुरुआती वक्त में मुरली के बाल काफी लंबे थे और इसका खामियाजा उन्हें क्रिकेट में भुगतना पड़ा। लंबे बालों के चलते रणजी टीम में उनका चयन नहीं हुआ था। मुरली की राय में शायद चयनकर्ताओं को लगा था कि यह लड़का खेल के बजाय स्टाइल पर ही ज्यादा ध्यान देगा। लेकिन, मुरली ने अपना हेयरस्टाइल बदला नहीं।