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मुझे पता होता कि तीन साल घर से दूर रहना होगा तो मैं एकेडमी में न जाता, भज्जी ने सुनाई संघर्ष की कहानी

भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी हरभजन सिंह अपने माता-पिता के अकेले बेटे हैं। परिवार में पांच बेटियां भी हैं। पांच बहनों में अकेले भाई होने से हरभजन का दुलार भी घर में ज्यादा था। उन्हें परिवार से दूर रहने और घर वालों के बीना रहने की आदत नहीं थी। इसलिये जब उन्हें पहली बार चंडीगढ़ के एकेडमी में माता-पिता उन्हें ले गये तो वे परेशान हो गये।

हरभजन बोले- बेटी के जन्म के बाद बहुत कुछ बदला

एक इंटरव्यू के दौरान हरभजन ने बताया कि माता-पिता और परिवार का महत्व क्या होता है यह तब समझ में आता है, जब हम अपना परिवार देखते हैं। बेटी के जन्म के बाद बहुत कुछ बदला। जब पहली बार मेरे माता-पिता मुझे चंडीगढ़ छोड़कर जा रहे थे, तो वे रो रहे थे। उन्हें देखकर मैं रो रहा था। मुझे यह पता नहीं पता था कि चंडीगढ़ एकेडमी में मुझे तीन साल रहना पड़ेगा।

अगर मुझे पता होता कि यहां सेलेक्ट होने के बाद तीन साल रहना होगा तो मैं ट्रायल देने जाता ही नहीं। मैं दो-तीन बार वहां से भाग भी गया था। तो वे फिर मुझे वहां छोड़कर आए और बोले कि यहां रहेगा बेटा तो कुछ कर लेगा। हरभजन ने कहा कि अगर माता-पिता ने उस समय वह स्टेप नहीं लिया होता तो मैं शायद आज मुंबई भी नहीं देखा होता।

हरभजन ने कहा कि लाइफ क्या-क्या दिखाती है जिंदगी में वह मजेदार है अगर आप उसको उसी के तरीके से चलने दें। ठीक है यार जो हो रहा है अच्छा हो रहा है। कोई चक्कर नहीं है। बिंदास, बढ़िया है। चलते जाओ उसके साथ। जब तुम खुद प्लान करने लगते हो जिंदगी का तो गड़बड़ होने लगता है। भगवान ने जो प्लान बनाया है, वह तो गलत हो ही नहीं सकता है।

वेंकट नटराजन खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट में इनकी ना केवल रुचि है, बल्कि यह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। क्रिकेट से जुड़े क़िस्से लिखने के अलावा वेंकट क्रिकेट Match Live Update, Cricket News in Hindi कवर करने में भी माहिर हैं।