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Cricket In Nepal: राजघराने से निकलकर आम लोगों तक पहुंचा बैट-बाल का खेल, जानिये नेपाल में कितना लोकप्रिय है क्रिकेट

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नेपाल क्रिकेट के पारस खड़का (बाएं), संदीप लामिछाने (बीच) और शरद वेसावकर (दाएं)। फोटो- फेसबुक

Cricket In Nepal: भारत में क्रिकेट की जो लोकप्रियता है, वह विश्व में कहीं नहीं है। भारत की राष्ट्रीय टीम भी दुनिया की सबसे मजबूत टीमों में से एक है। भारत के पड़ोस में पाकिस्तान और श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लंबे समय से हैं तथा भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका तीनों विश्व कप विजेता भी रह चुके हैं। भारत से निकलकर क्रिकेट का बुखार अब नेपाल को भी घेर लिया है। हालांकि वहां पर क्रिकेट की शुरुआत अंग्रेजों के जमाने से हो चुकी थी, लेकिन तब वह सिर्फ राजशाही खेल के रूप में ही था। और नेपाल के राजघराने के लोग ही आपस में खेलते थे। आम लोगों तक यह 60-70 के दशक में ही पहुंचा। देश में आधिकारिक रूप से क्रिकेट की शुरुआत 2004 में हुई।

Cricket In Nepal: पारस खड़का देश के सबसे सफल क्रिकेटर रहे हैं

नेपाल के तीन क्रिकेटर ऐसे रहे हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से इसको लोकप्रियता दिलाई। नेपाल के सबसे सफल खिलाड़ियों में से पहला नाम पारस खड़का का हैं, जिन्होंने देश के लिए खेलते हुए काफी नाम कमाये हैं। हालांकि वहां तक पहुंचने के लिए उनको काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। क्योंकि देश में क्रिकेट तब उतना लोकप्रिय खेल नहीं था, जितना कि आज है और इसमें उस समय पैसा भी नहीं था।

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उनको इस काम में परिवार का सहयोग भी नहीं मिला। खड़का जुनूनी खिलाड़ी हैं और वे क्रिकेट की ऊंचाइयों को छूने के लिए जिद कर बैठे थे। उन्होंने कड़ी मेहनत की और अंततः नेपाल की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने। उन्होंने देश को महत्वपूर्ण जीत दिलाने के लिए टीम का नेतृत्व किया। नेपाल को जब वनडे इंटरनेशनल मैच में पहली जीत मिली तब खड़का ही वहां के कप्तान थे।

दूसरे खिलाड़ी संदीप लामिछाने हैं जो नेपाल के एक और प्रतिभाशाली क्रिकेटर हैं। उन्हें राष्ट्रीय टीम के लिए अपनी यात्रा में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा, जिसमें आर्थिक कठिनाइयों और देश में क्रिकेट के बुनियादी ढांचे की कमी शामिल थी।

हालांकि, लामिछाने की प्रतिभा को पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क ने देखा तो उन्होंने उन्हें सिडनी में अपनी अकादमी के लिए खेलने के लिए आमंत्रित किया। लामिछाने तब इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेले और तब से नेपाल की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के प्रमुख सदस्य बन गए।

तीसरे खिलाड़ी शरद वेसावकर हैं, जो नेपाल की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैं। उन्हें राष्ट्रीय टीम तक पहुंचने के लिए कई संघर्षों का सामना करना पड़ा। संदीप लामिछाने की तरह शरद वेसावकर को भी क्रिकेट के बुनियादी ढांचे की कमी और वित्तीय कठिनाइयां झेलनी पड़ी।

वेसावकर के परिवार ने शुरू में क्रिकेट के प्रति उनके जुनून का समर्थन नहीं किया, लेकिन वे कड़ी मेहनत करते रहे और अंततः नेपाल के सबसे सफल क्रिकेटरों में से एक बन गए। उन्होंने नेपाल को वनडे इंटरनेशनल मैचों की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और टीम को आगे बढ़ाने में मदद की।

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