बात 2014 की है। आईपीएल का सातवां सीजन शुरू हुआ था। अक्षर पटेल को पहली बार आईपीएल में खेलने का मौका मिलने वाला था। लंबे इंतजार के बाद पटेल परिवार के लिए यह मौका आया था। अक्षर पटेल के पूरे परिवार, खास कर बड़े भाई संशिप पटेल की खुशी का ठिकाना नहीं था। संशिप वह फौरन पड़ोसी के घर दौड़े और उनका प्रोजेक्टर उधार मांग लाया। इस वादे के साथ कि आईपीएल खत्म होते ही लौटा दूंगा।
अक्षर पटेल पंजाब किंग्स इलेवन की ओर से खेल रहे थे। जब भी पंजाब का मैच होता तो संशिप मैच शुरू होने से पहले ही प्रोजेक्टर ऑन कर देते, ताकि पूरा खेड़ा एक जगह, बड़ी स्क्रीन पर मैच देख सके। वैसे 2013 में भी अक्षर मुंबई इंडियंस टीम में थे। लेकिन, उस बार उन्हें खेल दिखाने का ज्यादा मौका नहीं मिला था। उन्हें ‘सब्स्टीट्यूयूट’ के तौर पर रखा गया था।
अक्षर पटेल का जन्म 20 जनवरी 1994 को गुजरात के नादियाड के खेड़ा में हुआ था। खेड़ा नादियाड से कुछ ही दूर और अहमदाबाद से करीब 70 किलोमीटर दूर है। अक्षर पटेल आईपीएल में चुने जाने के साथ ही अपने इलाके में स्टार बन गए थे। क्रिकेट खेलने में उनकी रुचि बचपन से ही थी।
उनके कोच संजय पटेल ने उनकी प्रतिभा को अच्छी तरह पहचान लिया था। इतनी अच्छी तरह कि वह अक्षर पटेल के पिता के पास यह अनुरोध लेकर गए थे कि उसे साइंस न पढ़ने दें। अगर साइंस में दाखिला लिया तो आठ से तीन बजे तक फ्री ही नहीं हो पाएगा और क्रिकेट खेलने के लिए समय ही नहीं बचेगा।
अक्षर पटेल ने 18 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास मैच खेलना शुरू किया था। तब वह विजय हजारे ट्रॉफी में मुंबई में खेले थे और 2012 में उन्होंने रणजी खेला था। उसके बाद वह आईपीएल में चुने गए थे। उनकी मां नहीं चाहती थीं कि बेटा क्रिकेट खेले। इसकी वजह यह थी कि वह डरती थीं कि बेटे को चोट लग जाएगी।