Site icon Cricketiya

जब सीके नायडू के छक्के से बॉम्बे जिमखाना के बाहर ऊंचे टॉवर की घड़ी टूट गई, जानिये देश के पहले टेस्ट कप्तान की आक्रामक पारियों की कहानी

Indian Cricketer | CK Nayudu | First Test Captain

भारत में टेस्ट क्रिकेट के पहले कप्तान और मैदान में चौके-छक्के मारने में माहिर खिलाड़ी सीके नायडू। (फोटो- सोशल मीडिया)

कर्नल कोट्टरी कनकैया नायडू (Colonel Cottari Kanakaiya Nayudu) यानी सीके नायडू ने 1915 में पहली बार क्रिकेट खेलना आरंभ किया और कई दशकों तक लोगों को रोमांचित करते रहे। 1932 में जब भारत को टेस्ट मैच खेलने का अधिकार मिला तब भारतीय होल्कर आर्मी के सेनापति कर्नल सीके नायडू भारत के पहले टेस्ट क्रिकेट के कप्तान बने। उन्हें भारतीय क्रिकेट का पहला सुपर हीरो कहा जाता था।

बहुत ही एग्रेसिव और अटैकिंग गेम खेलते थे नायडू

उनकी बेटी चंद्रा नायडू बताती हैं कि वह बहुत ही एग्रेसिव और अटैकिंग गेम खेलते थे। वह हर बाल पर छक्का मारने के लिए जाने जाते थे। वह जब भी ग्राउंड पर आते थे तो दर्शक सीके छक्का, सीके छक्का कहते हुए शोर करते थे। वह तुरंत छक्का मार देते थे।

वह अपने पूर्वजों की तरह पहले वकील बनना चाहते थे, लेकिन जब क्रिकेट में गये तो सब कुछ भूलकर उसे में लग गये। वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत और फिट थे। एथलेटिक्स में काफी अच्छे थे। इसके अलावा वह हाकी, टेनिस, बिलियर्ड्स आदि खेला करते थे। क्रिकेट उनका खास था। उस समय आज की तरह रणजी ट्रॉफी आदि नहीं होते थे।

Also Read: आज के बाद तुम स्पिन गेंदबाजी करना छोड़ दो, कप्तान बिशन सिंह बेदी ने करसन घावरी से ऐसा क्यों कहा, जानिये पूरा किस्सा

उन दिनों पांच दिन वाले और तीन दिन वाले खेल टूर्नामेंट खेले जाते थे। हिंदू, मुस्लिम, पारसी और क्रिश्चयन नाम से कई टीमें थीं, जिनके मैचों को देखने के लिए लोग भारी संख्या में आते थे। पैसे देते थे। जाति के नाम से बनी टीमों के लिए टूर्नामेंट होते थे और सभी टीमें भाग लेती थीं।

1926 में एमसीसी आर्थर गिलिगन (Arthur Gilligan) के नेतृत्व में एक टीम भारत के दौरे पर आई। इस टीम में कई टेस्ट क्रिकेटर थे। उनको यहां 26 फर्स्ट क्लास मैच खेलने थे, जिसमें से एक मैच बॉम्बे जिमखाना में हिंदू के खिलाफ था। पहली दिसंबर को सीके नायडू ने उस समय तक विश्व में सबसे ज्यादा छक्के लगाने का रिकार्ड बना दिया। उन्होंने कुल 11 छक्के लगाये। इसके अलावा 13 चौके भी लगाए।

तब आज की तरह मजबूत बैट नहीं होते थे। हेलमेट भी नहीं था और मैदान बहुत ही खराब होते थे। उस समय बाउंडरी की दूरी भी अधिक थी। सीके नायडू की बेटी के मुताबिक उनका एक छक्का ऐसा था जिसमें बॉल बॉम्बे जिमखाना के बाहर मुंबई टॉवर में लगी घड़ी में जा लगी। इससे घड़ी टूट गई। जब लोगों को नायडू के चौके-छक्कों का पता चला तो मैदान में भारी भीड़ जुट गई। लोग मैच देखने के लिए पेड़ों, घरों की बालकनी और ऊंची छतों पर चढ़ गये।

Exit mobile version