उड़ीसा में देवघर ट्रॉफी का मैच चल रहा था। वेस्ट जोन की टीम देवधर ट्रॉफी जीती थी। जीत के बाद सौराष्ट्र के बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा, मुंबई के स्पिनर इकबाल अब्दुल्ला और गुजरात के बल्लेबाज भाविक ठाकेर एक ही कार में एयरपोर्ट जा रहे थे। तीनों क्रिकेटर्स को ले जा रही कार कटक-भुवनेश्वर हाईवे पर भाग रही थी। तभी बाइक सवार दो युवक उनका पीछा करते दिखाई दिए।
कार के आगे बाइक कर ली तो रोकनी पड़ी गाड़ी
पुजारा ने ड्राइवर को कार नहीं रोकने का आदेश दिया, लेकिन अचानक युवक ने कार के आगे बाइक लाकर रास्ता रोक दिया। अब तो ड्राइवर को गाड़ी रोकनी ही थी। बाइक सवार एक युवक उतरा और कार के पास आया। उसने कार की चाबी अपने हाथ में ले ली और ड्राइवर को पीछे बैठने को कहा।
युवक ने पूछने पर बताया कि वह रिकवरी एजेंट है
अब कार उस युवक के कब्जे में थी। तीनों क्रिकेटर समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर माजरा क्या है। वह बाइक सवार युवक कार भगा रहा था। क्रिकेटर्स को समझ नहीं आ रहा था कि वह कार कहां ले जा रहा है। वह कुछ बता भी नहीं रहा था। सब परेशान थे। काफी पूछने पर कार चला रहे युवक ने बताया कि वह रिकवरी एजेंट है और उसने कार को कब्जे में ले लिया है। कार लोन लेकर खरीदी गई है। इसकी किश्त नहीं भरी गई है। अब क्रिकेटर्स की समझ में बात आई। उन्होंने अपना परिचय देते हुए बताया कि कार और कार मालिक से उनका कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए उन्हें जाने दिया जाए।
रिकवरी एजेंट ने एक न सुनी। 10-15 मिनट वाद-विवाद के बाद वह क्रिकेटर्स को छोड़ने के लिए तैयार हुआ। बीच हाईवे पर उसने तीनों खिलाड़ियों को उतार दिया। सामान और किट के साथ तीनों क्रिकेटर्स सड़क पर थे। तब उड़ीसा क्रिकेट एसोसिएशन को दूसरी गाड़ी भेजने के लिए खबर भेजी गई।
बाद में पता चला कि क्रिकेट एसोसिएशन ने उस ट्रैवल एजेंट को ब्लैकलिस्ट कर दिया, जिसकी गाड़ी में खिलाड़ियों के साथ यह हादसा हुआ। यह बात मार्च 2009 की है। उन दिनों लोन नहीं चुका पाने के चलते गलत तरीके से रिकवरी एजेंट्स द्वारा वसूली करवाए जाने के मामले अक्सर खबरों में रहा करते थे।