अजहरूद्दीन टीम इंडिया में लंबे समय तक एक क्रिकेटर के रूप में अहम भूमिका में रहे। कई बार वह मैच जिताए और कई बार उन्होंने लंबी पारी भी खेली। अपने टेस्ट क्रिकेट की शुरुआत में अजहरुद्दीन ने एक के बाद एक तीन सेंचुरी बनाई थी। 1996 के विश्व कप में उन्होंने क्वार्टर फाइनल में पाकिस्तान के साथ मुकाबले में भारत को कप्तान के रूप में जीत भी दिलाई। कप्तान अजहरूद्दीन के बारे में बताते हुए संजय मांजरेकर ने कहा कि वह आम तौर पर जल्दी चिल्लाते नहीं है, लेकिन जब चिल्लाते हैं तो फिर धमाका ही करते हैं।
उनकी टीम मीटिंग में उनसे सब डरते थे। यह पहले से सबको बता दिया जाता था कि अगर मीटिंग में कोई एक मिनट भी लेट हुआ तो उस पर बहुत ज्यादा फाइन लगेगा। वह 30- 40 डॉलर प्रति मिनट के हिसाब से लिया जाता था। अजहरुद्दीन ने कहा कि मीटिंग में कई लोग डर के मारे बोलते ही नहीं थे। सिद्धू तो बिल्कुल चुप बैठते थे।
संजय मांजरेकर ने एक और किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि न्यूजीलैंड में एक मैच से पहले टीम मीटिंग में सब लोग मौजूद थे, लेकिन विनोद कांबली बाहर टाइम पास कर रहे थे। वह दस मिनट बाद आये। अजहरुद्दीन ने उनको बुरी तरह फटकार लगाई थी। अजहरुद्दीन ने उनको – यू आर स्प्रिंग चिकन- कहा था। आम तौर पर अजहरुद्दीन किसी के ऊपर कभी कभार ही चिल्लाते के लिए जाने जाते हैं, यह उसमें से एक था। हर कोई डर गया था।
इसी तरह पाकिस्तान के साथ 1996 के क्वार्टर फाइनल में जब आमेर सोहेल ने बेवजह भारतीय खिलाड़ी वेंकटेश प्रसाद से पंगा लिया तो अजहरूद्दीन ने तुरंत एंपायर के पास अपनी शिकायत में कड़ा विरोध दर्ज कराया। आमेर सोहेल ओवर कांफिडेंट की वजह से वेंकटेश प्रसाद को गलत इशारा कर रहे थे। इसका खामियाजा भी पाकिस्तान को भुगतना पड़ा और मैच हारकर विश्वकप से बाहर हो गया।
वेंकटेश प्रसाद ने बताया कि जब क्वार्टर फाइनल में हम पाकिस्तान से जीतकर सेमीफाइनल खेलने के लिए कोलकाता पहुंचे तो वहां हमारा स्वागत करने के लिए एक लाख से ज्यादा लोग मौजूद थे। एयरपोर्ट से होटल तक लोग भरे हुए थे।लोगों का सेंटीमेंट हाई था, लेकिन जब हम सेमीफाइनल में श्रीलंका से हार गये तो लोगों का गुस्सा भी जबर्दस्त था। होर्डिग्स पर चप्पल की मालाएं थीं और तस्वीरों पर गोबर फेंके जा रहे थे।