अजहरुद्दीन के पास एक साइकिल थी। वह इसे होण्डा कहा करते थे। बाद में अजहर ने पहली कार खरीदी थी फिएट। इसका नंबर था 1203। उनके दोस्त और कप्तान रहे किरन रेड्डी (जो बाद में राजनीति में गए) ने एक टीवी शो में बताया था कि पहले टेस्ट के वक्त अजहर सात किलोमीटर साइकिल चला कर आए थे। रेड्डी ने बताया कि अजहर बोलिंंग-बैटिंंग, दोनों के लिए तैयार रहते थे। हर निर्देश पर इंशाअल्लाह कह कर जवाब दिया करते थे। धीरे-धीरे पूरी टीम का तकिया कलाम बन गया था ‘इंशाअल्लाह’।
अजहर को वैसे तो गुस्सा नहीं आता है, लेकिन जब आता है तो बहुत आता है। एक बार रांची में लड़के उनकी कैप उठा ले गए थे तो वह बुरी तरह भड़क गए थे।
गोवा में एक मैच के दौरान अजहर ने पूरी टीम को सरप्राइज दिया था। उनके लिए एक क्लब में बुकिंग करा कर पूरी टीम में जोश भर दिया था। शारजाह में जब भारत ने पाकिस्तान को हराया था तो शाम को पूरी टीम नाइट क्लब गई थी। क्लब में भारतीय खिलाड़ियों का स्वागत ऐसे हुआ था, मानों स्वर्ग से देवता उतर आए हों।
न्यूजीलैंड में एक टीम मीटिंग में विनोद कांबली दस मिनट देर से पहुंचे थे। उस वक्त भी अजहर को जबरदस्त गुस्सा आया था। वह कांबली पर इतनी बुरी तरह भड़के कि सब सकते में आ गए। हालांकि, अजहर शुरू से इतने गुस्सैल नहीं थे। उस समय टीम मीटिंग काफी सीरियसली हुआ करती थी। ड्रेसिंग रूम में अमूमन क्रिकेट की ही बातें होती थी। खिलाड़ी सहमे होते थे और खुल कर बोलते तक नहीं थे।
नवजोत सिंह सिद्धू जो क्रिकेट छोड़ने के बाद बातें करने के लिए जाने-पहचाने गए, ड्रेसिंग रूम में बात ही नहीं करते थे। उनकी आदत थी कि वो ज्यादातर बातों का जवाब सिर हिला कर दिया करते थे।
अजहर शर्ट या टीशर्ट की कॉलर ऊपर करके रखते थे। यह 1993-94 से उन्होंने करना शुरू किया था और अब यह उनकी स्टाइल बन गया है। हालांकि, उन्होंने ऐसा स्टाइल का सोच कर करना शुरू नहीं किया था। धूप से बचने के लिए उन्होंने कॉलर खड़ा करना शुरू किया, जो उनकी आदत बन गई थी।