अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरुषों का क्रिकेट मैच शुरू होने के बाद महिलाओं ने भी इस खेल में रुचि दिखानी शुरू कर दी थी। तब पहले स्थानीय स्तर पर संपन्न घरों की कुछ महिलाएं आगे आईं, बाद में दूसरे घरों की महिलाएं भी इसमें भाग लेने लगी थीं।
ऑफिशियली भारत में पहली बार 1975 में ऑस्ट्रेलिया की महिला टीम खेलने के लिए आई थी। तब उस तरह की सुविधाएं और पैसे नहीं थे, जैसे आज क्रिकेट में खिलाड़ियों को मिल रहे हैं। भारत में यह पहली बार द्विपक्षीय महिला क्रिकेट सीरीज थी।
ऑस्ट्रेलिया की जो महिला टीम यहां आई थी वह अंडर -25 के रूप में थीं। भारतीय टीम भी उसी तरह की थी। तीन मैचों की टेस्ट सीरीज पुणे, दिल्ली और कोलकाता में खेले गए थे। खास बात यह है कि इस तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए भारत की ओर से तीन महिला कप्तान उज्ज्वला निकम, सुधा शाह और श्रीरूपा बोस बनाई गई थीं।
हालांकि यह शुरुआती महिला क्रिकेट टेस्ट सीरीज थी, लेकिन इसने आगे भी मैच खेलने के लिए रास्ते खोल दिये थे। ऑस्ट्रेलिया सीरीज के बाद भारत की टीम न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के साथ भी मैच खेली। कुछ मैच भारत में हुए और कुछ उनके देशों में जाकर खेले गये।
बीसीसीआई पुरुषों की तरह महिलाओं के लिए भी घरेलू महिला क्रिकेट का आयोजन करता है। सीनियर वनडे ट्रॉफी, सीनियर टी-20 ट्रॉफी और इंटर-स्टेट टी-20 चैंपियनशिप जैसे टूर्नामेंट अक्सर आयोजित होते हैं। इन प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों को अपने कौशल का प्रदर्शन करने और घरेलू स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक मंच मिलता है।
भारत की कई प्रतिभाशाली महिला क्रिकेटरों ने अपने स्किल और मेहनत से भारत का नाम विश्व महिला क्रिकेट में चमकाया है। इनमें मिताली राज, झूलन गोस्वामी, हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना और शैफाली वर्मा जैसे कई नाम शामिल हैं।
इधर कुछ वर्षों से पुरुष मैचों की तरह महिला क्रिकेट मैचों में भी अच्छी व्यवस्था की जाने लगी है। खिलाड़ियों की इनाम राशि भी बढ़ी है।