क्रिकेटर से कमेंटेटर और फिर नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू 1983 में पहली बार टीम इंडिया में शामिल हुए थे। हालांकि, तब वह बहुत कमाल नहीं कर सके थे और काफी कम वक्त के लिए टीम में रहे थे। तब उनके बारे में इंडियन एक्सप्रेस अखबार में एक आर्टिकल छपा था। यह आर्टिकल राजन बाला ने लिखा था। इस आर्टिकल ने नवजोत सिंंह सिद्धू की जिंंदगी बदल दी थी।
आर्टिकल में सिद्धू को ‘स्ट्रोकलेस वंडर’ कहा गया था। उसमें कहा गया था कि ये नेट के बाहर गेंद नहीं फेंक सकता, छक्के क्या लगाएगा। नवजोत के पिता यह आर्टिकल पढ़ कर रोने लगे थे। वह जब बाथरूम से नहा कर निकले तो देखा पिता की आंखों से आंसू छलक रहे थे। पिता ने कुछ छिपाने की कोशिश की, पर सिद्धू भांप गए थे।
जब पिता काम पर कोर्ट चले गए तो सिद्धू ने देखा कि उनके पिता जिस जगह बैठ कर रो रहे थे, वहां अखबार छिपा कर गए थे। सिद्धू ने अखबार निकाला और वह आर्टिकल देखा। उन्होंने उस आर्टिकल को अपने अलमारी में चिपका लिया। वह रोज सुबह उठ कर सबसे पहले उसे पढ़ा करते थे। उस आर्टिकल ने सिद्धू की जिंंदगी का मकसद बदल दिया था।
इससे पहले हालत यह थी कि जब सिद्धू के पिता सवेरे उन्हें जगाते और एक्सरसाइज करने के लिए कहते तो सिद्धू चुपके से दूसरे कमरे में जाकर सो जाते। थोड़ी देर बाद टी-शर्ट पर पानी के छींटे मार कर निकलते ताकि ऐसा लगे कि टी-शर्ट पसीने से भीगी है। लेकिन, ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के उस आर्टिकल का उनके पिता पर जो असर हुआ, वह देख कर सिद्धू पूरी तरह बदल गए थे।