‘A Century Is Not Enough’: क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी आम जिंदगी में लोगों के लिए सेलेब्रिटी की तरह होते हैं, लेकिन खुद उनकी जिंदगी कैसी होती है, यह शायद कम ही लोग समझ पाते हैं। सौरव गांगुली ने अपनी बायोग्राफी ‘ए सेंचुरी इज़ नॉट इनफ’ में अपने संघर्ष के दिनों के बारे में बताया है।
‘A Century Is Not Enough’: हम क्रिकेटरों के लिए बस एक ही काम है, भारतीय टीम में जगह पाना।
किताब में लिखा है कि आम लोग खिलाड़ियों के जीवन के कठिन पक्ष को नहीं समझते हैं। शानदार करियर के बाद भी आपकी जिंदगी दूसरों के आकलन पर निर्भर होती है। अपने करियर के दौरान खिलाड़ियों के पास काम के लिए अक्सर एक ही विकल्प होता है, वह है टीम में जगह पाने के लिए संघर्ष करना।
सौरव का मानना है कि राष्ट्रीय चयनकर्ता अगर आपको रिजेक्ट करते हैं या टीम में आपको जगह नहीं मिली तो सभी दरवाजे बंद हो जाते हैं। आप में से अधिकतर लोग नौकरी बदल सकते हैं। अगर आप अंबानी परिवार से खुश नहीं हैं तो आप टाटा के लिए आवेदन कर सकते हैं। यदि टाटा आपको अस्वीकार करता है, तो आप इंफोसिस को आजमा सकते हैं। रास्ते बहुत हैं। हम क्रिकेटरों के लिए बस एक ही काम है, भारतीय टीम में जगह पाना। कोई दूसरा काम नहीं है।
सौरव गांगुली क्रिकेट में जमीन से बीसीसीआई के अध्यक्ष बनने तक का सफर तय किया। वह एक साधारण क्रिकेटर रहे, क्लब में खेले, शहर के लिए खेले, राज्य के लिए खेले, देश के लिए खेले, देश का नेतृत्व किया, लेकिन हर बार सफर इतना सुहाना नहीं रहा।
सौरव एक बार ऐसे हालात भी देखे, जब वह टीम में नहीं थे और उनके लिए दरवाजे भी बंद हो गये थे। उस दौरान वे निराशा और तकलीफदेह के माहौल में रहे। हालांकि परिवार, मित्र और खुद के स्टेमिना के साथ दोबारा पूरी ताकत से फिर वापस हुए।
सौरव नए खिलाड़ियों को सलाह देते हैं- “आपके जीवन में ऐसे लोग आ सकते हैं जो आपको नुकसान पहुंचाएंगे। आपकी बिना किसी गलती के वे आपके दुश्मन बन जाते हैं और आपके विकास को नुकसान पहुंचाते हैं। आप उन लोगों के साथ क्या करेंगे?
हम में से बहुत से लोग बदला लेने के बारे में सोचते हैं। मैं आपको सलाह दूंगा कि बदला लेने की न सोचें। उन लोगों के बारे में सोचने का कोई मतलब नहीं है जो आपके योग्य नहीं हैं। सोचने से आपका नुकसान ही होगा। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कीमती समय बर्बाद कर रहे होंगे। वे इस लायक नहीं हैं कि आप अपना समय उनके लिए गवाएं।”