2011 के वर्ल्ड कप में जब भारत की जीत हुई तो टीम इंडिया की खुशी का ठिकाना नहीं था। और, यह स्वाभाविक भी था। यह सचिन तेंदुलकर का आखिरी विश्व कप था। इस वजह से उन्हें सम्मान देने और उनके महत्वपूर्ण योगदान के चलते टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने उन्हें कंधे पर उठा कर राउंड लगाने की पेशकश की।
वीरेंद्र सहवाग से किसी ने सचिन को कंधे पर उठाने के लिए कहा तो उन्होंने मजाक में यह कहते हुए टाल दिया कि इतने भारी शख्स को कंधे पर बिठा कर वह नहीं घुमा पाएंगे। उन्होंने पठान, हरभजन जैसे ‘युवा’ खिलाड़ियों को यह जिम्मेदारी दी। सहवाग ने एक इंटरव्यू में यह किस्सा सुनाया था।
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2 अप्रैल, 2011 को भारत ने श्रीलंका को छह विकेट से हरा कर वनडे क्रिकेट का विश्व कप दूसरी बार भारत के नाम कराया था। उस समय टीम के कप्तान महेंद्र सिंंह धौनी थे। उन्होंने एक छक्का जड़ा और वर्ल्ड कप भारत के नाम हो गया था।
सहवाग और सचिन ने इस मैच में भारत की पूरी पारी ड्रेसिंंग रूम में ही बैठ कर देखी थी। इसके पीछे की कहानी वीरेंद्र सहवाग ने साझा की। उन्होंने बताया कि जब वह आउट हुए तो बड़ा दुखी हुए। वह ड्रेसिंंग रूम में इस झटके से उबर ही रहे थे कि सचिन तेंदुलकर भी आउट होकर आ गए। अब दोनों ने मिल कर सचिन के आउट होने का अफसोस मनाया।
इस बीच, सचिन ने अपना कॉफिन खोला। उसमें भगवान की तस्वीर, उनके बच्चों द्वारा दिया गया ‘ऑल द बेस्ट’ कार्ड आदि चीजे थीं। वह हाथ जोड़ कर वहीं बैठ गए। सहवाग को भी वहीं बिठा लिया। फिर दोनों पारी खत्म होने तक वहीं बैठे रहे।
आर. अश्विन और पीयूष चावला शुरू में नीचे बैठ कर मैच देख रहे थे। उस समय भारत की स्थिति अच्छी नहीं थी। अश्विन ने कहा- चलो, ऊपर से देखते हैं। राउंड लगाते वक्त बात हुई कि सचिन को कंधे पर उठाते हैं। वीरेंद्र सहवाग ने कहा- नहीं। युवा खिलाड़ियों पर जिम्मेदारी दे दी।
सचिन तेंदुलकर को अंग्रेजी गाने बहुत पसंद हैं। वह अक्सर ड्रेसिंग रूम में अंग्रेजी गाने लगवाते थे। वीरेंद्र सहवाग उन्हें कहा करते थे- पाजी, यह सुनने वाले अकेले आप ही हो। बाकी सबको बॉलीवुड के गाने ही समझ आते हैं।