1983 विश्व कप की विजेता भारतीय टीम के सदस्य रहे मदन लाल बचपन से ही क्रिकेट के दीवाने थे। उनके पास शुरू में बैट तक नहीं था, तब घरों में कपड़े धोने में इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ी के पिटने से ही खेलते थे। बाल्टी को विकेट बना लिये थे। इस तरह वे तब क्रिकेट खेलते थे। बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने घरों के शीशे भी खूब तोड़े और इस चक्कर में अपनी पिटाई भी करवाई।
दूरदर्शन को दिए एक इंटरव्यू में मदन लाल ने कई मजेदार किस्सों को साझा किया। मदन लाल ने बताया कि 1983 वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज के साथ मैच में जब वे जब बॉलिंग कर रहे थे तो उनके दो-तीन ओवर में विवियन रिचर्ड्स ने 30 रन बना लिये। इससे वे बहुत परेशान हो गये थे। उन्होंने लगा कि यही हालत रही तो भारत के हारने की नौबत आ जाएगी।
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तब मदन लाल ने कप्तान कपिल देव से कहा अगले ओवर में वे विवियन रिचर्ड्स को जरूर आउट कर देंगे। और यही हुआ। अगले ओवर में उन्होंने ऐसी बॉलिंग की कि विवियन रिचर्ड्स के बैट चलाते ही बाल सीधे कपिल देव के हाथों में कैच हो गई। विवियन रिचर्ड्स कैच आउट हो गये।
एक और किस्से का जिक्र करते हुए उन्होंने एक मजेदार बात बताई। पढ़ाई में शुरू से वे काफी कमजोर थे। इस कारण उनके नंबर काफी कम आते थे। एक बार स्कूल से रिजल्ट मिला। उसमें उनको मैथ और अंग्रेजी में 10 में जीरो नंबर मिले और हिंदी में 10 में 3 नंबर मिले। स्कूल से कहा गया था कि रिजल्ट में पिता जी के हस्ताक्षर करके ले आइए। मदन लाल परेशान थे।
उन्हें डर था कि पिता जी देखेंगे तो बहुत पीटेंगे। पिटाई से बचने के लिए उन्होंने मैथ और अंग्रेजी में जीरो के आगे एक लिख दिया। यानी 10 में 10 नंबर कर दिये, लेकिन नीचे टोटल नंबर को बदलना भूल गये। जब पिताजी के सामने रिजल्ट को रखा तो वे ऊपर 10 में 10 देखकर बहुत आश्चर्य में पड़ गये और खुश भी हुए, लेकिन उनकी नजर जब नीचे की तरह टोटल नंबर पर गई तो वे पूरा माजरा समझ गये। उसके बाद उन्होंने मदन लाल की जमकर पिटाई की।