वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में टीम इंडिया की हार (Team India’s Defeat) को लेकर तमाम तरह की बातें कही जा रहीं हैं। कई लोग खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर ही सवाल उठा रहे हैं तो कई लोग कह रहे हैं कि टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला गलत था। कुछ लोगों का मानना है कि भारत के खिलाड़ियों का चयन ही गलत था तो दूसरी तरफ कुछ अन्य लोगों का मानना है कि टीम इंडिया का मैनेजमेंट सही ढंग से अपनी तैयारी नहीं कर रहा था।
हालांकि इन सबमें एक बात जो सबसे महत्वपूर्ण था, वह यह था कि टीम में रहकर भी आर. अश्विन को मैच में नहीं खिलाया गया। इस पर सवाल उठना लाजिमी है। भारत की ओर से इंग्लैंड का मैदान, इंग्लैंड का मौसम, विपक्षी टीम और अपनी क्षमता को लेकर जो भी रिसर्च किया गया हो, लेकिन यह फैसला बिल्कुल गलत था। रविचंद्रन अश्विन को मौका दिया जाना चाहिए था। अश्विन होते तो शायद पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया का स्कोर इतना ज्यादा नहीं होता।
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दूसरी तरफ टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी नहीं करने का कप्तान रोहित शर्मा का फैसला भी गलत साबित हुआ। इंग्लैंड का मौसम और ओवरकास्ट को देखकर रोहित ने जो भी सोचा हो, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में आम तौर पर टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला बहुत कम टीम करती हैं। भारत का यह फैसला गलत था। इसका भरपूर फायदा ऑस्ट्रेलिया ने उठाया और इतना बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया कि भारत के लिए मुश्किलें उसी समय से शुरू हो गईं।
पहले गेंदबाजी करने के फैसले से भारत के खिलाड़ी फिल्डिंग करते हुए बहुत बुरी तरह थक गये। इसके चलते जब बैटिंग करने के लिए ओपन बल्लेबाज के तौर पर रोहित शर्मा और शुभमन गिल आए तो वे ज्यादा कुछ रन नहीं बना पाये और आउट हो गया। यह सिलसिला विराट कोहली और पुजारा के साथ भी जारी रहा।
भारत की गेंदबाजी भी कमजोर साबित हुई। पहले दिन जिस तरह की गेंदबाजी करते हुए भारतीय बॉलरों ने रन लुटाया, उससे तो यही लग रहा था कि ये बॉलिंग कम कर रहे हैं बैट्समैनों की प्रैक्टिस ज्यादा करा रहे हैं। भारतीय बॉलरों की गेंदबाजी पर ऑस्ट्रलिया के खिलाड़ियों ने जमकर रन बनाये।