टीम इंडिया की हार (Team India’s Defeat) की हार ने क्रिकेट प्रेमियों को जोरदार झटका दिया है। आईपीएल खेलकर निकले खिलाड़ियों को जब इंग्लैंड रवाना किया जा रहा था, तब ऐसा लगा था कि टीम पूरे फॉर्म में है, लेकिन वहां पर खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने सबको निराश कर दिया।
टीम इंडिया को जिस आईसीसी खिताब को जीतने की उम्मीद पिछले दस साल से थी वह एक बार फिर टूट गई। टीम इंडिया ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में ऑस्ट्रेलिया के आगे जिस तरह से घुटने टेके उससे नहीं लगता है कि यह टीम जीतने के लायक भी थी। पूरे मैच के दौरान टीम जरा सा भी संघर्ष करती नजर नहीं आई।
इससे खिलाड़ियों पर ही सवाल उठेंगे। करोड़ों रुपये खिलाड़ियों को मिलते हैं। सुविधाएं और इनाम तो अलग से हैं, लेकिन इस प्रतिष्ठापूर्ण ट्रॉफी को जीतने के लिए टीम को जो संघर्ष दिखाना चाहिए था, वह कहीं नहीं दिखा। इससे लाजिमी है कि खिलाड़ियों से पूछा जाए कि वे क्या कर रहे थे। इस सवाल का जवाब उन्हें देना ही पड़ेगा।
एक बात जरूर है कि टीम इंडिया की तरफ से अजिंक्य रहाणे ही एक मात्र ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जो कुछ संघर्ष करते हुए दिखे हैं। उन्होंने पहली पारी में 129 गेंदों पर 89 रन बनाकर कुछ उम्मीदें जगाई थी, दूसरी पारी में वह 46 रन बना सके।
रहाणे जिस तरह से बल्लेबाजी कर रहे थे, उससे लगा कि अगर उनको किसी बैट्समैन का साथ मिल जाए तो वह नैया पार लगा सकते हैं, लेकिन उनका साध देने के लिए कोई बैट्समैन सामने नहीं आया। कोहली भी मैदान में कोशिश किये, लेकिन वे भी यहां चल नहीं सके।