तीन मील रोज पैदल चल पहुंचते थे स्टेडियम, बॉल ब्वॉय का काम किया, स्टार क्रिकेटर बाबर आजम के ऐसे थे मशक्कत के वे दिन
पाकिस्तान के स्टार क्रिकेटर बाबर आजम ( Babar Azam) आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने अपनी शुरुआती जिंदगी में काफी मशक्कत की थी। पैसों की तंगी झेली, लोगों की झिड़कियां सुनी, भूखे रहे और कई बार बेरुखी के शिकार बने। हालांकि अपने जुनून की वजह से वह कभी पीछे नहीं लौटे।
गद्दाफी स्टेडियम में सीनियरों के साथ प्रैक्टिस करने, हुनर दिखाने का मिला मौका
एक वेबसाइट के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि जब उन्हें क्रिकेट में मौका नहीं मिल रहा था तो वे गद्दाफी स्टेडियम लाहौर में ही किसी तरह काम करने लगे। यह स्टेडियम उनके घर से तीन मील दूर था। वहां तक बाबर आजम रोजाना पैदल ही जाते थे। इस दौरान वहां उन्हें कई लोगों से मिलने, उनके साथ प्रैक्टिस करने और अपना हुनर दिखाने का मौका मिला। इस तरह काफी हीलहुज्जत के बाद वह क्रिकेट में आ सके। पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के बीच मैच के दौरान वह वहां पर बॉल ब्वॉय के रूप में भी काम किये थे।
पाकिस्तान के सेलेक्टरों ने जब मौका दिया तो खुद को साबित भी किया
बाबर बताते हैं कि इतने संघर्ष के दौरान उन्हें काफी कुछ सीखने और समझने का अवसर मिला। काफी परेशानी के बाद जब वह एक बार क्रिकेट के मैदान में प्रथम श्रेणी मैचों में अपने कदम रख दिये तो फिर पीछे नहीं हटे और आगे ही बढ़ते गये। उनकी पारी देखकर पाकिस्तान के सेलेक्टरों ने उनको टीम में मौका दिया और बाबर ने भी उनको निराश नहीं किया।
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बाबर ने बताया कि उनके माता-पिता ने उनके संघर्ष के दौरान उनका मनोबल डिगने नहीं दिये। मां ने बड़ी मुश्किल से कुछ पैसे बचाए थे। उस पैसे से पहली बार किट खरीदा। वह पल जिंदगी का सबसे खुशनुमा पल था। उस किट से कई साल तक मैच खेले। कहा कि पिता मुझे सभी मैचों को देखने के लिए भेजते थे। वह खुद अपने साथ ले जाते थे। हर मैचों को बारीकी से देखने और उसमें खिलाड़ियों के प्रदर्शन से सीखने की कोशिश करता था।
बाबर ने बताया कि चुनौतियों से जूझना और सीखना जिंदगी में बड़ा काम आता है। इसको वह बहुत सकारात्मक तरीके से लेते हैं। यही वजह है कि 26 वर्ष की उम्र में उन्हें क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में नेतृत्व करने का अवसर मिला।