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एशेज शुरू होने के पहले चोट से उबर चुके ऑस्ट्रेलियन प्लेयर ने बढ़ाई इंग्लैंड की टेंशन, जानिये कौन खिलाड़ी है वह

Australia | World Test Champion Final 2023 |

ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ी जोश हेजलवुड। (फोटो- फेसबुक)

एशेज (Ashes) सीरीज शुरू होने से पहले इंग्लिश टीम की चिंता बढ़ गई है। क्योंकि ऑस्ट्रेलिया (Australia) का घातक तेज गेंदबाज चोट से पूरी तरह उबर चुका है और एशेज सीरीज में हिस्सा लेने के लिए पूरी तरह से फिट हो चुका है। ऐसे में ये पूरी तरह से साफ हो चुका है कि जोश हेजलवुड (Josh Hazlewood) पहले टेस्ट में खेलते हुए नजर आएंगे।

हेजलवुड (Hazlewood) बीते 2 साल से लगातार चोट से जूझ रहे है और इसी के चलते वो टीम से लगातार अंदर बाहर होते रहे है। बता दें , कि हेजलवुड ने पिछले 15 महीने में सिर्फ 2 टेस्ट मैच ही खेले है। हेजलवुड (Hazlewood) ने कहा कि वो इस सीरीज में 3 मैच खेल पाते है तो उन्हें ठीक लगेगा लेकिन अगर मैं 4 मैच खेलता हूं तो मैं खुश महसूस करूंगा। अगर आपने मुझसे ये सवाल एक या दो साल पहले पूछा होता तो मैं सभी 6 मैच (वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल और 5 एशेज टेस्ट) खेलना पसंद करता।

हेजलवुड (Josh Hazlewood) ने आगे कहा कि मेरे लिए ज्यादा मैच खेलने अच्छे है अगर काम मैच खेलूंगा तो दिक्कत होगी। उन्होंने आगे कहा कि मैं इन सभी मैचों में अच्छा प्रदर्शन करना चाहूंगा। हेजलवुड का इंग्लैंड (England ) के खिलाफ रिकॉर्ड बहुत शानदार है। हेजलवुड ने इंग्लैंड के खिलाफ खेले 14 मैचों में 24.45 की औसत से 60 विकेट चटकाए है। जबकि इंग्लैंड में, हेजलवुड ने 8 मैचों में 23.58 की औसत से 36 विकेट लिए है।

हेजलवुड (Josh Hazlewood) ने ये भी कहा स्कॉट बोलैंड (Scott Boland) के शानदार प्रदर्शन करने से वो टेंशन में नहीं है। उन्होंने कहा कि जब आपके पास पहले से ही एक वर्ल्ड क्लास खिलाड़ी मौजूद रहता है तो इससे टीम को बहुत फायदा होता है। उन्होंने कहा कि कैमरन ग्रीन (Cameron Green) के आने से उन्हें अपने कैरियर को लंबा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जब आपकी टीम में 4–5 तेज गेंदबाज होते है तो इससे गेंदबाजों को बहुत मदद मिलती है क्योंकि जब आप चोटिल होते है तो आपके पास उससे उभरने का काफी समय होता है।

हेजलवुड ने ये भी कहा कि तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के टीम में होने से टीम को बहुत फायदा मिलता है। हमने बीच में 20–30 टेस्ट मैच बिना ऑलराउंडर के खेले थे जिससे गेंदबाजों को ज्यादा गेंदबाजी करनी पड़ती थी और उनके चोटिल होने के चांस बढ़ जाते थे।

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