Cricketer Mukesh Kumar Struggle : पिता चाहते थे टैक्सी चलाए, बेटे को जिद थी क्रिकेट खेलने की, दिल्ली कैपिटल्स ने 5.5 करोड़ में खरीदा तब घर वालों को दिखी प्रतिभा
Cricketer Mukesh Kumar Struggle : सौरव गांगुली के राज्य बंगाल में एक से एक प्रतिभावान क्रिकेटर निकले हैं। इन्हीं में से एक मुकेश कुमार हैं, जो मूल रूप से बिहार के गोपालगंज के एक सामान्य परिवार के हैं। पिता टैक्सी चलाते थे, किसी तरह घर का खर्चा चलता था, लेकिन वे कोलकाता आकर अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर क्रिकेट में ऊंचाइयों को छू लिया।
मुकेश अमूमन अपने घर के आसपास ही खेलते थे। वह कहीं भी रहें लेकिन उनका मन हमेशा क्रिकेट खेलने पर ही लगा रहता था। घरेलू क्रिकेट में काफी मेहनत करने के बाद मुकेश ने इस बार आईपीएल में खेलने का अवसर पाये। दिल्ली कैपिटल्स में वे साढ़े पांच करोड़ में बिके।
Cricketer Mukesh Kumar Struggle : 2012 में कोलकाता आए थे, वहीं क्रिकेटर बने
असल में मुकेश कुमार अपने गांव से 2012 में कोलकाता शहर आए। यह वह साल था जब उनके पिता का टैक्सी के बिजनेस में काफी नुकसान हो गया था। तब मुकेश ने दूसरे दर्जे के लीग मैच में खेलना शुरू कर दिया था। इससे उन्हें तकरीबन 400-500 रुपये मिल जाया करते थे। यह पैसे घर चलाने के लिए काफी नहीं थे। पिता चाहते थे कि मुकेश टैक्सी चलाएं। लेकिन मुकेश क्रिकेट खेलने की जिद पर अड़े थे। थक-हार कर उनके पिता बोले ठीक है क्रिकेट खेलो, सफल हुए तो अच्छी बात है, नहीं तो फिर टैक्सी चलानी होगी।
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मुकेश ने बताया, ‘मेरे पिता ने मुझे एक साल दिया था और कहा था कि अगर इस दौरान कुछ नहीं हुआ था मुझे उनके साथ काम करना होगा। हालांकि वह जानते थे कि मुझे क्रिकेट में दिलचस्पी है।’ मुकेश ने खुद को साबित किया और धीरे-धीरे बंगाल की घरेलू टीम में वे अपनी पक्की जगह बना लिये। मुकेश का इंडिया के लिए चयन हुआ तो उनके करियर को नई दिशा मिल गई।
मुकेश ने बताया कि अहमदाबाद में मैच के दौरान शमी ने उनसे कहा, ‘हम अहमदाबाद में गुजरात टाइटंस के खिलाफ खेल रहे थे। शमी भाई ने मुझसे कहा कि आईपीएल में गेंदबाजों को रन पड़ते ही हैं लेकिन जरूरी है कि आप अपनी प्रार्थना करें।
एक समय मुकेश को ऐसी बीमारी हो गई थी कि क्रिकेट में उनकी एंट्री बंद हो गई थी, लेकिन वह जीवट और हिम्मती थे। इसके बल पर वे फिर से अपनी जगह बना लिये और क्रिकेट में छा गये।