मां के आग की भेंट चढ़ जाने के बाद टूट गए थे रवींद्र जडेजा, क्रिकेट तक छोड़ने का बना लिया था मन, फिर…
कभी-कभी जिंदगी के हालात ऐसे होते हैं, जब आप जो कुछ करते है, जिसके लिए करते हैं, उसको ही नहीं दिखा पाते हैं। क्रिकेटर रवींद्र जडेजा हालात के ऐसे ही मोड़ से गुजरे थे। दरअसल उनकी मां लता जडेजा रवींद्र को उनके सबसे फेवरेट हॉबी में आगे बढ़ने में काफी मदद करती थीं। वह जानती थीं कि उनका बेटा एक दिन देश के लिए खेलेगा। वह अपने बेटे को किसी भी चीज की कभी कमी नहीं होने देती थीं। पिता अनिरुद्ध की इच्छा आर्मी ऑफिसर बनाने की थी, लेकिन इसके विपरीत मां ने रवींद्र पर कभी अपनी इच्छा नहीं थोपी।
जडेजा को आगे बढ़ाने में मां ने बहुत मेहनत कीं, पर वह दुनिया से जल्दी चली गईं
मां ने उनको खुली छूट दी और क्रिकेटर बनाने के लिए हर तरह की मदद की, लेकिन दुर्भाग्य से जब रवींद्र क्रिकेट की ऊंचाइयां छूने की ओर बढ़ने लगे तो उनकी मां लता जडेजा की छाया उनसे छिन गई। 2005 में घर में हुए एक हादसे में जलने से उनकी मौत हो गई। इससे रवींद्र बुरी तरह टूट गये। जिस मां ने उनको क्रिकेट के शीर्ष पर पहुंचने के लिए दिन-रात एक कर दिया था, वही उनको शीर्ष पर पहुंचते देखने से पहले ही दुनिया से चली गईं।
रवींद्र जडेजा को उनकी बहन ने काफी संभाला
एक अस्पताल में नर्स का काम करने वाली उनकी बहन नैना ने रवींंद्र को संभाला, लेकिन मां के बिना रवींद्र बेचैन रहने लगे। उन्होंने एक बार क्रिकेट से ही दूर हो जाने का फैसला कर लिया था। वह गुमसुम रहने लगे थे।
इसी दौरान एक ऐसा वाकया हुआ कि उनका मन बदल गया। उन्होंने खुद से कहा- मुझे क्रिकेट क्यों छोड़ना चाहिए? जो मां मुझे एक अच्छा क्रिकेटर बनते देखना चाहती थीं, अगर वह सपना मैं नहीं पूरा कर सका तो मेरी मां जहां पर भी होंगी, उनको और दुख ही होगा। मुझे जरूर क्रिकेट खेलना चाहिए। आखिर मां यही तो चाहती थी कि मैं अच्छा क्रिकेटर बनूं।
इस वाकये के बाद रवींद्र की जिंदगी बदल गई। उन्होंने फिर कभी ऐसी बातें नहीं सोचीं। उसके बाद उन्होंने क्रिकेट पर फिर से अपना ध्यान लगाना शुरू कर दिया। अभी वह टीम इंडिया के लिए खेल रहे हैं। इसके अलावा वह आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग के लिए खेलते हैं। बैटिंग और बॉलिंग दोनों में उनका रिकॉर्ड बहुत अच्छा है।