जिंदगी में कुछ लोग बहुत ही खास अंदाज में रहना पसंद करते है और उनको जरा सा भी अंदाज में बदलाव पसंद नहीं आता है तो कुछ दूसरे लोग ऐसे हैं, जिन्हें किसी भी तरह की औपचारिकता से ही परहेज होता है। इंडियन प्रीमियर लीग में चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान रहे गुजरात के युवा खिलाड़ी रवींद्र जडेजा ऐसे ही नेचर के हैं। वह किसी भी तरह की औपचारिकता के बंधन में नहीं बंधना चाहते हैं।
जडेजा को खुद को सर कहलाना पसंद नहीं है
वह बाएं हाथ से बल्लेबाजी करने और बाएं हाथ से ही स्पिन गेंदबाजी करने वाले ऑलराउंडर खिलाड़ी हैं। वे बताते हैं कि बहुत से लोग उन्हे सर जडेजा कहते हैं। यह उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है। इसके बजाए उन्हें कोई बापू कहे तो वह ज्यादा सहज रहते हैं। गुजरात में बापू सामान्य तौर पर किसी को भी कह दिया जाता है।
जडेजा को अपने लिए बापू सुनना बहुत अच्छा लगता है
रवींद्र जडेजा कहते हैं, “लोगों को मुझे मेरे नाम से बुलाना चाहिए। वह काफी है। मुझे अपने लिए सर सुनने से नफरत है। आप चाहो तो मुझे बापू बुला लो, यही मुझे अच्छा लगता है। यह सर-वर, मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।” जडेजा जीवन में अपने पिता अनिरुद्ध सिंंह से काफी प्रभावित हैं। उन्होंने एक बार कहा था कि पिता ने एक बार उनसे एक ऐसी बात कही, जिससे उनकी जिंदगी बदल गई। वह बात एक चेतावनी भरी सलाह की तरह थी, लेकिन वह बड़ी बात थी।
पिता ने कहा था कि “चमचागीरी (तुष्टिकरण)” कुछ शुरुआती सफलता जरूर दिला देगी, लेकिन बहुत दूर नहीं ले जाती है। उन्होंने कहा था, “ग्राउंड में परफॉर्म करो, बस बात खत्म।” “बात खत्म” में किसी ऐसे व्यक्ति का निर्णायक स्वर था जिसने जीवन में बहुत कुछ देखा है।
पिता उनको सेना में अफसर बनाना चाहते थे
वैसे रवींद्र जडेजा पिता से प्रभावित थे, लेकिन सच यह है कि वह उनको क्रिकेटर नहीं बनाना चाहते थे। वह सिक्योरिटी कंपनी में गार्ड का काम करते थे। उनका सपना था कि उनका बेटा सेना में अधिकारी बने और देश के लिए काम करे। लेकिन, बेटा ने क्रिकेट में नाम किया।
जब जडेजा बड़े क्रिकेटर बन गए तो उनके पिता ने नौकरी छोड़ दी और आगे चल कर राजनीति करने लगे। वह 2019 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के लिए प्रचार किया और अपनी बहू रिवाबा जडेजा को वोट नहीं देने की लोगों से अपील की।
रिवाबा को बीजेपी ने नॉर्थ जामनगर से टिकट दिया था। वह वहां से जीत कर पहली बार विधायक बनीं।