इस क्रिकेटर ने पहली कमाई से पिता की याद में गुदवाया टैटू- जानिए इन महिला क्रिकेटर्स की मजेदार कहानियां
क्रिकेट के इतिहास में 4 मार्च, 2023 की तारीख हमेशा के लिए दर्ज हो गई है। यही वह दिन था जब मुंबई में पहली बार महिला प्रीमियर लीग (WPL) शुरू हुआ। आईपीएल की तर्ज पर। आईपीएल शुरू होने के 16 साल बाद। पहले वूमन प्रीमियर लीग (4-26 मार्च, 2023) में 5 टीमों ने भाग लिया- मुंबई इंडियंस, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर, दिल्ली कैपिटल्स, गुजरात जायंट और यूपी वॉरियर्ज।
पहले डब्ल्यूपीएल में 87 खिलाड़ी शामिल हुईं। 57 भारतीय और बाकी विदेशी। सबकी अलग और अनोखी कहानी है। कहानी ऐसी जो न केवल जीवन के अलग-अलग रंग दिखाती है, बल्कि सफलता के लिए संघर्ष करने वाले युवाओं को प्रेरित भी करने वाली है। आज हम कुछ ऐसी ही कहानियां जानेंगे।
लोकल टूर्नामेंट में जगह पाने के लिए लड़कों जैसे बाल रखने लगी थीं शेफाली वर्मा
दिल्ली कैपिटल की खिलाड़ी शेफाली वर्मा को क्रिकेटर बनाने में पिता का जबरदस्त साथ मिला। इतना कि पिता ने उनके बाल लड़कों जैसे कटवा दिए, ताकि वह लड़कों की तरह दिखें और लोकल टूर्नामेंट में खेल सकें। शेफाली हरियाणा के रोहतक की हैं और रोहतक ऐसी जगह है जहां लड़के-लड़कियों को एक नजर से देखने की भावना अभी भी पूरी तरह नहीं आई है।
शेफाली वर्मा भारत की सबसे कम उम्र की महिला क्रिकेटर हैं
पिता की मदद से शेफाली क्रिकेट में आगे बढ़ती गईं और भारत के लिए खेलने वाली सबसे कम उम्र की क्रिकेटर बनीं। यही नहीं, उनकी कप्तानी में ही भारत ने अंडर-19 महिला क्रिकेट का पहला विश्व कप जीता। स्नेहा को परिवार का जैसा साथ मिला, वैसा सबको नसीब नहीं होता। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की पूनम खेमनार ऐसी ही खिलाड़ियों में से एक है। 28 साल की पूनम को जब डब्ल्यूपीएल में मौका मिला तो खुशी के साथ उन्हें वे दिन भी याद आए जब क्रिकेट खेलने के चलते उन्हें माता-पिता का भारी विरोध झेलना पड़ा था।
ऑस्ट्रेलिया की दिग्गज खिलाड़ी मेग लैनिंग ने बर्तन साफ करने जैसे काम भी किए
डेल्ही कैपिटल्स की कप्तान, ऑस्ट्रेलिया की दिग्गज खिलाड़ी मेग लैनिंग 32 साल की हैं। उन्होंने कुछ समय के लिए क्रिकेट छोड़ दिया था। इस बीच घूमना-फिरना किया और एक कैफे में कॉफी बनाने व बर्तन साफ करने जैसे काम भी किए। इंग्लैंड की 30 वर्षीय खिलाड़ी नैट साइवर ब्रंट भी मुश्किल हालात से गुजर कर डब्ल्यूपीएल में मुंबई इंडियंस की तरफ से खेलने आईं। उन्हें मानसिक रूप से मजबूत होने के लिए ब्रेक तक लेना पड़ा। ब्रेक से लौटीं तो टी 20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड की उप कप्तान के रूप में अच्छी वापसी की और टूर्नामेंट में दूसरी सबसे अधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी बनीं।
A glimpse of Sneha deepti who already has a double hundred and a triple hundred in her name in inter district women's tournament.
— SnEhA KuMaR ReDdY (@snehakumarreddy) March 11, 2023
Can this super mom gets a chance to play for @DelhiCapitals in today's match or anytime soon?
Wishing her good Luck. pic.twitter.com/sYR9VfPImi
Also Read: जानिए क्रिकेट के उस दौर का हाल जब विदेश दौरे पर जाने के लिए खिलाड़ियों को देने होते थे पैसे
डेल्ही कैपिटल्स की स्नेहा दीप्ति 26 साल की हैं। उन्हेंने 2013 में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। हालांकि उनका क्रिकेट करियर रफ्तार नहीं पकड़ सका। 22 साल की उम्र में ही उनकी शादी हो गई और जब वह डब्ल्यूपीएल खेल रही हैं तो दो साल के बच्चे को घर पर छोड़ कर आई हैं। उन्होंने एक वीडियो में बताया कि जब वह घर से निकलने लगीं तो उनकी बेटी काफी रो रही थीं। उसे देख कर उनका मन डोलने लगा। लेकिन पति ने हिम्मत दी और कहा कि तुम जाओ। स्नेहा को डेल्ही कैपिटल्स ने 30,0000 रुपए में खरीदा और उन्हें उम्मीद है कि वह इससे कहीं ज्यादा कीमती साबित होंगी।
यूपी वॉरियर्ज की ऑल राउंडर देविका वैद्य की कहानी भी जिंंदगी से जूझने का जज्बा बयां करती है। 2019 में मां की मौत के बाद उन्होंने 21 साल की उम्र में खेल से संन्यास का फैसला ले लिया था। पर कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान उन्होंने अपने भविष्य के बारे में एक बार फिर सोचना शुरू किया। उन्हें लगा कि उनकी मां हमेशा साथ हैं। इस अहसास ने उन्हें काफी हिम्मत दी।
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की खिलाड़ी रेणुका सिंह ठाकुर ने तो पिता की याद को हर पल साथ रखने के लिए टैटू गुदवाया हुआ है। 1999 में पिता कहर सिंह ठाकुर का साया उनके ऊपर से उठ गया था। रेणुका को क्रिकेट से जो पहली कमाई हुई, उससे उन्होंने टैटू गुदवाया। एक पिता का टैटू जो अपनी बेटी को खेला रहे हैं। रेणुका कहती हैं कि इस तरह हमेशा उनके पिता के साथ होने का अहसास बना रहता है।