जब सिडनी में मिल गया ‘अपना परिवार’, पाकिस्तानी क्रिकेटर हारिस राउफ ने बताया पहली बार विदेश में अकेले खेलने का अनुभव
पाकिस्तानी क्रिकेटर हारिस राउफ (Haris Rauf) थोड़ा देर से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट (International Cricket) में डेब्यू किये। एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने क्रिकेट संघर्ष के बारे में बताया। कहा कि पहले वे टेप बॉल से खेलते थे। एक बार जब पीएसएल यानी पाकिस्तान सुपर लीग (Pakistan Super League) में ट्रायल दिए और हार्ड बॉल पर अच्छा कर गये तो उन्होंने अपना मूड बदला और हार्ड बॉल से गेंदबाजी (Hard Ball Bowling) शुरू कर दिया। अब वह खुद को हार्ड बॉल खेलने पर शिफ्ट कर दिया। यह काम काफी मुश्किल था।
जब पीडीपी की टीम की ओर से कॉंट्रैक्ट मिला और ऑस्ट्रेलिया खेलने गए तो वहां पर होने वाले क्विन सीरिज (Quin Series) में सिडनी थंडर्स के खिलाफ मैच खेल रहे थे। इस दौरान हारिस के दो ओवर हुए थे, तभी वहां पर बैठे एक क्लब के डॉयरेक्टर ने उनकी बॉलिंग देखकर काफी प्रभावित हुए और पास बुलाकर बात करनी शुरू कर दी।
उन्होंने पूछा कि क्या उनके क्लब के साथ खेलना चाहोगे। वहां पर छह महीने का सीजन होता है। उन्होंने पूछा कि अगर रुक सकते हो तो उनके लिए एक सीजन खेलो। हारिस ने अपनी टीम के कप्तान से पूछा तो उन्होंने भी सहमति दे दी और कहा कि प्रोफेशनल क्रिकेट सीखने और एंट्री पाने के लिए यह अच्छा अवसर है। यहां पर हार्ड बॉल से खेलने की प्रैक्टिस बढ़ेगी और प्रोफेशनल एक्सपीरियंस मिलेगा। हारिस रुक गये। वहां पर उन्होंने खेलना शुरू कर दिया।
बहरहाल पहले ही मैच में हारिस ने छह विकेट लिये। उन्हें बहुत छोटे-छोटे स्पेल में बॉलिंग करने के लिए दिया गया। इसका उन्हें आयडिया नहीं था तो इस दौरान उन्हें करीब 23-24 ओवर करने पड़े। उतनी उनकी फिजिक भी नहीं थी, लिहाजा वे इंज्यूर्ड हो गये और डेढ़ से दो महीने तक के लिए कुछ भी करने की स्थिति में नहीं रहे। तब हारिस को समझ आया कि फास्ट बॉलिंग करने के लिए डायट लेना और फिटनेस मेंटेन रखना बहुत जरूरी है। इसके बाद हारिस ने अपनी लाइफ स्टाइल चेंज की और फिटनेस पर ध्यान दिया।
मसला सिर्फ इतना ही नहीं था। हारिस को वहां पर अकेलापन भी महसूस हो रहा था। एक तो वह पहली बार अपने देश से बाहर गये थे, दूसरी बात वहां की भाषा और खानपान भी उनके लिए अजनबी थी। संयोग से उनको वहां एक परिवार मिल गया। उसके बेटे नहीं थे, तो उन्होंने उनको अपना बेटा बना लिया और अपने पास रख लिया। रोज उनको नाश्ता देना, खाना देना और बेटे की तरह देखभाल करना शुरू कर दिया। यह रिश्ता इतना मजबूत हो गया कि हारिश अब करीब हर दो दिन पर उनसे बात करते हैं। जब भी सिडनी जाते हैं तो उन्हीं के पास जाते हैं। हारिस के लिए वह उनका अपना परिवार जैसा है।