विजयलक्ष्मी ने अपनी शादी और हनुमा के जन्म से पहले ही सोच लिया था ‘विहारी’ नाम, जानिए क्यों?
क्रिकेटर हनुमा विहारी (Cricketer Hanuma Vihari) एक सफल क्रिकेटर। कहते हैं ना कि हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत होती है। तो, हनुमा के मामले में भी यह बात गलत नहीं है। उनकी कामयाबी उनकी मां की बदौलत है।
जब हनुमा चार साल के थे तभी पिता का साया सर से उठ गया था। उनकी मां भी तब पढ़ाई ही कर रही थीं। पीजी की डिग्री ले रही थीं। उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा था। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया। वह खुद सुबह-सुबह बेटे को लेकर कोच के पास प्रैक्टिस के लिए जाती थीं।
हनुमा जब अंडर 13 के लिए चुने गए थे तो अच्छा नहीं खेल सके थे। यह देख कर मां को बड़ी चिंता हुई। उन्हें लगा कि कहीं न कहीं प्रैक्टिस में कमी रह रही है। उन्हें कंपनी से जो भी पैसे मिले थे, सब हनुमा पर खर्च कर दिए। मेहनत रंग लाई। हनुमा का खेल निखरने लगा।
हनुमा जिस कॉलोनी में रहते थे, वहां के बच्चों के साथ क्रिकेट खेलते थे। कॉलोनी की सारी औरतें उनकी मां से कहा करती थीं कि एक दिन यह भारत के लिए खेलेगा। हनुमा के माता-पिता ने इसे अपना सपना बना लिया था और पूरा करने के लिए कोई भी त्याग करने के लिए तैयार था। प्लान था कि जब हनुमा की मां की पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी हो जाएगी तो वह नौकरी करेंगे और पिता अपनी नौकरी छोड़ कर घर पर रहेंगे। हनुमा के साथ। लेकिन अचानक हनुमा के पिता दुनिया ही छोड़ गए। सारी जिम्मेदारी अकेले मां पर आ गई।
हनुमा विहारी के नाम के पीछे भी एक कहानी है। उनकी मां ने शादी से पहले ही तेलुगु में एक नॉवेल पढ़ी थी। नॉवेल उन्हें बहुत पसंद आई। उसके नायक से वह बेहद प्रभावित हुईं। नॉवेल में नायक का नाम था ‘विहारी’। उस नॉवेल को पढ़ते वक्त ही हनुमा की मां ने मन ही मन तय कर लिया था कि अगर उन्हें बेटा हुआ तो उसका नाम ‘विहारी’ रखेंगी। उनके पिता का नाम था हनुमा श्रीवर्ती। इसलिए विहारी जन्म लेने पर माता-पिता ने उनका नाम हनुमा विहारी रखा।