2007 में भारत के विश्व कप से बाहर होना चुभता है, विरेंदर सहवाग ने बताया अपने अनुभव का किस्सा
विरेंदर सहवाग (Virender Sehwag) को 2007 के विश्वकप मैच में सबसे अच्छी टीम होने के बावजूद बाहर हो जाने का बेहद तकलीफ है। उनका कहना है कि 2007 में हमारी टीम दुनिया की सबसे अच्छी टीम थी। अगर आपको पेपर पर बेहतर टीम देखना हो तो न तो पहले ऐसी टीम थी और न ही बाद में ऐसी टीम थी। पहले वाले (2003) में हम फाइनल खेले और बाद वाले (2011) में हम अगला विश्व कप जीते हैं। लेकिन उसमें ये नाम नहीं थे।
20007 में यह सबसे ज्यादा खटकता है कि हम तीन मैचों में से दो हारे। एक जीते भी तो वह नामीबिया (Namibia) से और वर्ल्ड कप से बाहर हो गये। सहवाग ने कहा कि उससे ज्यादा कष्टदायी यह था कि सबको लगता था कि भारत अगले राउंड में पहुंचेगा ही, लेकिन जब लीग स्टेज खत्म हुआ तो दो दिन का ब्रेक था। और उसके बाद हमें ट्रेवल करना था।
लेकिन हम हार गये तो हमारे पास टिकट नहीं था। अब हमें दो दिन और त्रिनिदाद एंड टोबेगो (Trinidad And Tobago) में रुकना पड़ा, कोई काम नहीं , कोई प्रैक्टिस नहीं, कुछ भी नहीं करना था। बाहर भी नहीं जाना और कुछ भी नहीं कर सकते थे।
सहवाग बोले उन दो दिनों में वे अपने कमरे में न रूम सर्विस लिये और न हाउस कीपिंग कराया और न ही अपने कमरे से बाहर निकले। इस दौरान वे अपने एक रिलेटिव से अमेरिका से ‘प्रिजन ब्रेक (प्रिज़न ब्रेक (Prison Break) फॉक्स टेलीविजन (Fox Television) के लिए पॉल श्यूरिंग (Paul Scheuring) द्वारा बनाया गया एक अमेरिकी सीरियल ड्रामा टेलीविजन शो है।)’ मंगाए और दो दिन तक उसको देखा। फिर अगले दिन ट्रेवल किया और घर वापस आया। किसी की शकल नहीं देखी।
सहवाग के मुताबिक वह साल क्रिकेट के लिहाज से बहुत खराब रहा। टीम इंडिया इतना पीछे कभी नहीं रही। अच्छा होकर भी हम खेल नहीं पाये और हार गये। टूर्नांमेंट से बाहर हो गये। यह सभी खिलाड़ियों के लिए बेहद चिंता का विषय था। लेकिन जो होना था वह हो गया। हालांकि उसके बाद काफी चीजें बदलीं और उस सदमे से खिलाड़ी उबरे।