सहवाग का था 50-55 लोगों का बड़ा परिवार, घर में खेलते थे ‘चपलम चपलाई’ का खेल, जानें मजेदार स्टोरी
विरेंदर सहवाग (Virender Sehwag) 1992 से पहले क्रिकेट के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे। उनका घर बड़ा था। पचास-पचपन लोगों का परिवार होता था। उसमें जब फुटबाल का सीजन आता था तो घर के सब बच्चे फुटबाल खेलते थे, जब हाकी का आया तो हाकी खेलते थे, जब क्रिकेट का आया तो क्रिकेट खेल लिये।
घर में केबल था नहीं, इसलिए जब 1992 का विश्व कप आस्ट्रेलिया में हो रहा था तब पहली बार बगल के घर में टीवी पर मैच देखने गये। मैच सुबह पांच बजे से होता था। उस समय पहली बार किसी ने बताया कि सचिन तेंदुलकर एक खिलाड़ी है जो काफी कम उम्र का है वह खेल रहा है। तब सब लोग सचिन को बैटिंग करते देखते थे।
सहवाग उस समय सचिन की बैटिंग टीवी पर देखकर कापी करते थे तो भाई लोग बोलते थे कि बैठ जा, तू कौन सा सचिन तेंदुलकर बनने जा रहा है। उसके बाद सहवाग लगातार क्रिकेट देखने लगे और उसके प्रति सीरियस हो गये। पहले टेनिस बॉल खेली, फिर लेदर बॉल पर आए और फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे। जिस सचिन को वह टीवी पर देखकर काफी करते थे, एक समय वह दिन भी आया जब सहवाग सचिन के साथ क्रीज पर बैटिंग करते थे।
सहवाग ने एक मजेदार किस्सा बताया। कहा कि घर में सब भाई बहन मिलकर चपलम चपलाई (Chapallam Chaplai) का खेल खेलते थे। एक गोला बनाते थे, उसमें सब चप्पल डाल देते थे। एक बंदा खड़ा होता था और चप्पलें निकालनी है। अंदर वाला बंदे को दूसरे को छूना होता था ताकि वह बाहर निकल सके।
कई बार ऐसा होता था कि एक चप्पल से दूसरी चप्पल पर मारते थे ताकि वह बाहर आ जाए। कई बार तो अंदर वाले बंदे के पैरों को ही मारते थे ताकि वह चप्पल बाहर निकाल दे। इसी तरह गिल्ली डंडा, कंचे ये सब के सीजन में खेलते थे।