क्रिकेट के मैदान पर कमाल करने वाले हरभजन सिंंह (Harbhajan Singh) पढ़ाई-लिखाई में कमजोर थे। क्रिकेटर से नेता बने हरभजन अब अच्छी अंग्रेजी बोल लेते हैं, लेकिन जब वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना शुरू कर चुके थे, तब तक भी अंग्रेजी से उनका 36 का रिश्ता था। वह 12वीं की परीक्षा पास नहीं कर पाए थे और उस इम्तिहान में नकल करते पकड़ लिए गए थे।
हरभजन जब परीक्षा देने गए तो काफी सारी चिट्स लेकर गए थे। इन चिट्स से वह नकल कर रहे थे। तभी टीचर उनके पास आते दिखे। टीचर को आता देख उन्होंने चिट्स मुंह में ले लिया और च्युइंग गम की तरह चबाने लगे। काफी देर चबाने के बाद उन्होंने मौका देख कर चिट को मुंह से निकाला और छत की ओर फेंक दिया। यह सोच कर कि शायद चिट्स च्युइंग गम की तरह ही छत में चिपक जाए। पर ऐसा हुआ नहीं और चिट वापस फर्श पर आ गिरी।
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फिर क्या था। टीचर हरभजन के पास आए। उनकी तलाशी ली गई। उन्होंने अंडरवियर में काफी सारी चिट्स छिपा रखी थीं। चिट्स बरामद कर ली गईं और उन्हें परीक्षा हॉल से बाहर कर दिया गया। हरभजन ने अंबाती रायडू का इंटरव्यू लेते समय यह किस्सा खुद सुनाया था।
वैसे, राज्यसभा की वेबसाइट पर हरभजन की शैक्षणिक योग्यता हायर सेकंडरी बताई गई है। 2021 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद अगले साल आम आदमी पार्टी (आप) ने उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया था। वैसे हरभजन भले ही किसी तरह बारहवीं पास कर सके हों, लेकिन इसके बावजूद उनके पास डीएसपी की नौकरी थी।
2021 में पंजाब सरकार ने क्रिकेट में उनके योगदान का सम्मान करते हुए यह नौकरी दी थी। नौकरी के अलावा उन्हें पांच लाख रुपए और प्लॉट भी भेंट किया गया था। यही नहीं, उनके पास पीएचडी की मानद उपाधि भी थी। यह उपाधि उन्हें फ्रांस की यूनिवर्सिटी इकोल सुपीरियेयूरे रोबर्ट डि सोर्बोन से मिली थी।
भगवंत मान से उनकी करीबी दोस्ती मानी जाती है। शायद यही वजह रही कि जब भगवंत मान पंजाब के सीएम बने तो पंजाब सरकार और आम आदमी पार्टी की ओर से हरभजन पर मेहरबानियों की बरसात हुई। भगवंत मान नेता बनने से पहले कॉमेडियन थे। हरभजन भी टीवी रियलिटी शोज में शामिल होते रहे हैं।
हरभजन ने क्रिकेट की शुरुआत 1998 में टेस्ट मैच से की थी। यह मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ था। उन्होंने 103 मैच खेले और अपने नाम 417 विकेट किए। वनडे में 236 मैच खेल कर उन्होंने 269 विकेट लिए। उनका आखिरी टी-20 इंटरनेशनल मैच 2016 में यूएई के खिलाफ था। इसके बाद वह कभी टीम में नहीं लौट सके थे।