तब फास्ट बॉलिंग के बजाय एक्यूरेसी ज्यादा अहम थी, क्रिकेटर अजय जडेजा ने बताया फास्ट और स्पिन का किस्सा
जिंदगी में हर कोई तेज चलना चाहता है, हर कोई तेजी से आगे बढ़ना चाहता है, हर कोई चाहता है कि वह सबसे आगे रहे, हर कोई तेजी से काम करना चाहता है, लेकिन क्रिकेट ऐसा खेल है, जहां आपको वैसा ही खेलना है जैसा आप नेचुरल तरीके से खेल सकते हैं। अगर आप फास्ट बॉलर बनना चाहते हैं तो फास्ट बॉलिंग करिये, अगर आप स्पिन बॉलिंग करना चाहते हैं तो स्पिन बॉलिंग करिये। बैटिंग करते हैं तो बैटिंग करिये, बॉलर है तो बॉलिंग करिये।
Also Read: पृथ्वी शॉ को सेंचुरी लगाने पर ब्रेड टोस्ट मिलता था ‘ईनाम’
नब्बे के दशक में एक उभरते हुए क्रिकेटर रहे अजय जडेजा, जिनका संबंध उस शाही राजघराने से था, जिसमें से महाराजा रणजीत सिंह और दलीप सिंह निकले थे। उन्हीं के नाम पर रणजी ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी टूर्नामेंट होते हैं। ’22 यार्न विथ गौरव कपूर’ पॉडकॉस्ट में गौरव कपूर से बात करते हुए अजय जडेजा ने बताया कि पहले फॉस्ट बॉलिंग को इतना महत्व नहीं दिया जाता था।
Also Read: जब रो पड़े थे महेंद्र सिंंह धौनी- हरभजन सिंंह ने पांच साल बाद खोला ‘कैप्टन कूल’ का राज
उन्होंने बताया कि पहले के समय में फास्ट बॉलिंग को नापने के लिए स्पीड गन के बजाय एक्यूरेसी ज्यादा महत्वपूर्ण होता था। इसके अलावा किस मोमेंट पर गेंद फेंकी गई, कब गेंद फेंकनी है और कब नहीं फेंकनी है, आदि पर ज्यादा ध्यान रखा जाता था। तब गति से ज्यादा सटीकता पर फोकस किया जाता था। क्योंकि तब गेंदबाज के एक्शन पर फोकस होता था।
शुरू में गावस्कर ने भी कहा था कि वे फास्ट बॉलर बनना चाहते थे, लेकिन बन गये बैट्समैन, सचिन तेंदुलकर भी यही बोलते थे, लेकिन वे भी बैट्समैन बन गये। दरअसल तेज गेंदबाजी करना एक पैशन है, जो सबसे नहीं हो सकती है। जडेजा ने बताया कि एमआरएफ पेस फाउंडेशन चेन्नई में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वे खुद फास्ट बॉलिंग के लिए चुने गये थे, लेकिन वे फॉस्ट बॉलर के बजाए अच्छे बैट्समैन बनकर निकले।
अजय जडेजा को क्रिकेट विरासत में मिला, वे अच्छे खिलाड़ी भी रहे, लेकिन उनकी किस्मत अच्छी नहीं रही। वे पूरे दस साल भी मैच नहीं खेल पाए, इसके पहले ही उन पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा और आगे खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इससे उनका कैरियर खत्म हो गया। उन्हें किस्मत ने समय से पहले ही क्रिकेट से दूर कर दिया।