Sir Vivian Richards: चुनौतियां जितना घेरती थीं, वे उतनी ही मजबूती से करते थे सामना; जानिये क्यों खास थे पूर्व कैरिबियन कैप्टन
वेस्टइंडीज के पूर्व क्रिकेटर सर विवियन रिचर्ड्स (Sir Vivian Richards) अपने समय के सबसे प्रसिद्ध खिलाड़ियों में जाने जाते थे। उन्हें क्रिकेट के इतिहास में सबसे महान बैट्समैन के रूप में गिना जाता था। हालांकि वे वहां तक पहुंचने के लिए तमाम बाधाओं और चुनौतियों का सामना किये। वे बहुत गरीब घर से निकले थे। पैसों का अभाव जरूर था, लेकिन उनका क्रिकेट के प्रति जुनून कम नहीं था। वे मन से संघर्षशील और जुझारू खिलाड़ी थे। चुनौतियां जितना उन्हें घेरती थीं, वे उतनी ही मजबूती से उनका सामना करते थे। वे 17 साल मैदान पर क्रिकेट खेले, लेकिन कभी हेलमेट नहीं लगाये। वह भी तब जब किसी भी गेंदबाज को ओवर के सभी बाल बाउंसर मारने की छूट थी।
इसका असर उनके खेल में भी दिखा। वे मैदान में गेंदबाजों का सामना दीवार बनकर करते थे। जब वह मैदान में उतरते थे, तो उसके पहले कठोरता से अपने को अनुशासित रखते थे ताकि उनकी बैटिंग स्किल पर जरा सा भी कोई कमी न आने पाए। उनकी खासियत यह थी कि वे खुद को लगातार निखारते थे।
उन्होंने अपने काम को अपनी जिम्मेदारी माना और कठोर अभ्यास और समर्पण को अपना मूलमंत्र माना। इस आधार पर आगे बढ़ते हुए खुद की अपनी एक आक्रामक शैली विकसित की और गेंदबाजों पर हावी होने के लिए शक्तिशाली स्ट्रोक प्ले का सहारा लिया।
विवियन रिचर्ड्स को 1984 में वेस्टइंडीज टीम का कप्तान बनाया गया। उनके नेतृत्व में टीम पांच साल से अधिक समय तक टेस्ट सीरीज में अजेय रही। 1970 और 80 के दशक में उन्होंने टीम को कई सीरिज जिताने में अहम भूमिका निभाई।
विवियन रिचर्ड्स 18 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी और सेंट जोंस के एक भोजनालय (Restaurant) में काम करने लगे। उनको यहां काम करने पर उनकी जरूरत भर का पैसा मिल जाता था। भोजनालय का मालिक जानता था कि इनको क्रिकेट का जुनून सवार है। इसलिए वह इनकी कभी-कभी मदद कर देता था। एक बार उन्होंने इनको क्रिकेट किट भी दी थी। इससे विवियन को काफी फायदा हुआ और उनका जुनून और बढ़ गया।