आईपीएल 2023 के 62वें मैच में सनराजइर्स हैदराबाद के भुवनेश्वर कुमार ने गुजरात टाइटंस के पांच विकेट गिरा कर ऐसा काम कर दिखाया जो विरले ही देखने को मिलता है। भुवनेश्वर वह खिलाड़ी हैं जिन्होंने पहली बार सचिन तेंदुलकर को शून्य पर आउट किया था। तब वह 19 साल के थे और रणजी ट्रॉफी में खेल रहे थे। 20008-09 का सीजन था। भुवि यूपी टीम से खेल रहे थे।
भुवनेश्वर कुमार ने जब पहली बार सचिन तेंदुलकर को आउट किया था, उस समय उन्हें ऐसा कुछ नहीं लगा था कि एक महान क्रिकेटर को आउट किया है। अगले दिन जब अखबारों में इस बारे में खबर छपी तो भुवनेश्वर को अहसास हुआ कि उन्होंने कुछ बड़ा काम किया था। जब सचिन ड्रेसिंग रूम से पिच की ओर आ रहे थे तो बोलिंग मार्क पर भुवनेश्वर खड़े थे।
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सचिन को उन्होंने देखा तो उनसे नजर ही नहीं हट रही थी। उन्हें आउट करने के बाद भी भुवि को यकीन नहीं हो रहा था। लेकिन, अगले दिन अखबारों में वाहवाही देख उन्हें लगा कि इस विकेट की बदौलत ही वह लाइम लाइट में आए। इससे पहले रणजी ट्रॉफी में सचिन को शून्य पर कोई आउट नहीं कर पाया था।
भुवनेश्वर कुमार जब बच्चा थे तब सिपाही या फौजी बनने का जुनून था। इसकी वजह यह थी कि उनके परिवार के ज्यादातर लोग पुलिस या फौज में ही थे। पापा भी। इसलिए भुवनेश्वर के दिमाग में भी यही बात थी। लेकिन, जब उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो विचार बदलने लगा। पहले तो पार्क में ही क्रिकेट खेलना शुरू किया। लेकिन जब वह छठी-सातवीं में थे तो उनकी क्लास के दो साथियों ने कहा कि स्टेडियम जाएंगे क्रिकेट खेलने। तब भुवनेश्वर स्टेडियम जाने लगे। लेकिन, घर से पढ़ाई को लेकर सख्ती थी। पढ़ाई की अनदेखी कर क्रिकेट खेलने की इजाजत बिल्कुल नहीं थी।
तो स्कूल से आकर खाना खाकर तीन बजे के करीब स्टेडियम पहुंचते थे। छह-सात बजे तक लौटते थे। तब तक वह थक कर चूर हो गए होते थे। कपड़े बदलने का भी होश नहीं रहता था। आते ही बिस्तर पर चले जाते थे। रात का खाना खिलाने के लिए भी घरवालों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी।
इतनी कड़ी मेहनत देख कर भी घरवालों को लगता था कि यह अपना वक्त बर्बाद कर रहा है। उन्हें लगता कि पढ़ाई में इतनी मेहनत कर लेता तो कहीं अच्छा रहता। लेकिन, जब अंडर 15 में भुवनेश्वर का चयन हुआ तो परिवार वालों का नजरिया बदला।