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रूढ़िवादी सोच के घर वाले खेलने नहीं दे रहे थे, बहन-बहनोई ने दिया सहारा, गोपाल शर्मा को टीम इंडिया तक पहुंचने में करनी पड़ी ऐसी मशक्कत

भारत में क्रिकेट का खेल एक जुनून की तरह है। अपने जीवन के शुरुआती दौर में करीब-करीब हर बच्चा क्रिकेटर बनना चाहता है। 70 और 80 के दशक मे क्रिकेट में महाराष्ट्र खास तौर पर बंबई (अब मुंबई) का बोलबाला था। तब और राज्यों के खिलाड़ियों को भारतीय टीम में जगह बनाने में बहुत मशक्कत करनी पड़ती थी। उस वक्त यूपी जैसे राज्य के खिलाड़ी तो रणजी टीम से ऊपर बढ़ ही नहीं पाते थे।

गोपाल शर्मा यूपी के इटावा जिले के रहने वाले हैं। वह बचपन से क्रिकेट खिलाड़ी बनना चाहते थे, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने और घर वालों में खेल से ज्यादा नौकरी की चाहत रखने के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। घर वालों की सोच भी रूढ़िवादी थी।

जब उन्हें कहीं से कोई सपोर्ट नहीं मिला, तब उनकी बहन और बहनोई ने उन्हें हार नहीं मानने और मेहनत करते रहने के लिए प्रेरित किया। तमाम दिक्कतों और परेशानियों के बावजूद गोपाल शर्मा भी अपने लक्ष्य के प्रति डटे रहे। उनकी सोच थी जीत के लिए कितनी भी मुश्किलें आएं, यदि आप अपने सपनों और उन्हें पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं तो आप सफल होकर रहेंगे।

कुछ समय बाद उनको लखनऊ के एक क्लब से खेलने का मौका मिला। उस क्लब में उनका इतना प्रदर्शन शानदार था कि जल्दी ही उन्हें यूपी रणजी टीम में खेलने का अवसर मिल गया। वह दाएं हाथ के ऑफ स्पिनर थे। उन्होंने टेस्ट में पहला ब्रेक इंग्लैंड के खिलाफ मिला। इसमें उन्होंने 60 ओवर में 115 रन देकर 3 विकेट लिए। इसके बाद 1985-86 में श्रीलंका का दौरा किया। इसके अलावा उन्हें अगले सत्र में पाकिस्तान के खिलाफ खेलने का मौका मिला। वे नाम भी कमाये। लेकिन इससे उनके संघर्ष का अंत नहीं हुआ। हालांकि वह आजादी के बाद यूपी के पहले खिलाड़ी थे, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मैच में हिस्सा लिया।

उस समय बंबई और दिल्ली क्रिकेट के गढ़ माने जाते थे। यहां के कई खिलाड़ी उस समय अच्छी सुविधाओं के कारण तेजी से आगे बढ़ रहे थे। ऐसे में गोपाल शर्मा को काफी कंपटीशन का सामना करना पड़ा। इसकी वजह से उनको ज्यादा मौके नहीं मिल सके। मजबूरी वश उनको संन्यास लेना पड़ा और एक उभरता हुआ क्रिकेटर क्रिकेट से बाहर हो गया। टीम इंडिया के लिए गोपाल शर्मा ने 5 टेस्ट मैच और 11 वनडे खेला। इसके अलावा उन्हें 104 प्रथम श्रेणी मैचों में खेलने का मौका मिला।

इसके बाद वे बैंकिंग सेक्टर में चले गये और वहां पर जॉब करने लगे। साथ ही नये खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। फिलहाल वह एक कोच की भूमिका में काम कर रहे हैं।

वेंकट नटराजन खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट में इनकी ना केवल रुचि है, बल्कि यह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। क्रिकेट से जुड़े क़िस्से लिखने के अलावा वेंकट क्रिकेट Match Live Update, Cricket News in Hindi कवर करने में भी माहिर हैं।