क्रिकेटर हरभजन सिंंह का चयन जिस दिन टीम इंडिया के लिए हुआ था, उस दिन का एक दिलचस्प किस्सा है। हरभजन अपने एक दोस्त विवेक के साथ क्रिकेट का सामान बनाने वाली एक फैक्ट्री में गए थे। उन्हें कुछ सामान लेना था। वहां सामान देखते हुए उनकी नजर एक हैट पर पड़ी। उन्होंने वह हैट उठाई और पहन ली। इसी बीच फैक्ट्री का मालिक वहां आ गया। उसने हरभजन के सिर पर हैट देखा तो हैट उतरवा लिया। हैट पर टीम इंडिया का लोगो लगा था। फैक्ट्री मालिक ने लोगो निकाल लिया और हैट हरभजन को वापस करने लगा। पर, हरभजन ने हैट लेने से इनकार कर दिया।
हरभजन को इस बात से बड़ी चोट पहुंची। उन्होंने विवेक से कहा- यार, इससे मैंं यह हैट लेकर रहूंगा और वह भी टीम इंडिया के लोगो के साथ। इस वादे के साथ दोनों फैक्ट्री से लौट गए। संयोग से इस घटना के कुछ ही देर बाद हरभजन का टीम इंडिया में चयन हो गया। यह खबर मिलते ही हरभजन फूले न समाए। वह फौरन उसी फैक्ट्री में वापस गए और वहां से वही हैट लेकर आए। वह भी टीम इंडिया के लोगो के साथ।
हरभजन सिंह को क्रिकेटर बनाने में उनके चचेरे भाई करतार सिंह का भी बड़ा रोल रहा है। पहली बार हरभजन को ग्राउंड पर ले जाने वाले शख्स वही हैं। वह खुद बैडमिंटन के कोच थे।
हरभजन जब एकेडेमी में दाखिले के लिए ट्रायल के लिए गए थे तो उनके साथ जलंधर से 29 और लड़के थे। कुल 30 लड़कों की टोली गई थी, उनमें से 28 पहले ही ट्रायल में फेल हो गए थे। सब लौटने लगे तो हरभजन ने कहा- मैं भी चलता हूं। तभी पता चला कि उनका सेलेक्शन हो गया है अगले राउंड के लिए। उन्होंने अगले दो राउंड भी क्लियर किए और दाखिला मिल गया। लेकिन, यह जानकर कि जलंधर छोड़, चंडीगढ़ के हॉस्टल में रहना पड़ेगा, बहुत बुरा लगा। यह बात 1994 की है।
अकेडमी में बिताए साल हरभजन के लिए काफी मुश्किल भरे रहे, लेकिन उन्हीं सालों की बदौलत उन्हें जीवन के कई पाठ भी सीखने को मिले और क्रिकेटर बनने की नींव भी वहीं पड़ी।