Team India | Cricket Players |
Stories

जान‍िए, क्‍यों रोज दोपहर एक बजे यूसुफ और इरफान पठान को बंद कर देते थे प‍िता

इरफान और यूसुफ पठान आज देश के नामी क्र‍िकेटर हैं। लेक‍िन, दोनों भाई संघर्ष में तप कर न‍िकला हुआ सोना हैं। उनके प‍िता महमूद पठान एक फैक्‍ट्री में काम करते थे। वह 15 साल की उम्र से ही मस्‍ज‍िद में ख‍िदमत का काम भी करते थे। पैसों की बड़ी तंगी थी। वे चाहते तो थे क‍ि बेटे पढ़-ल‍िख कर वकील-डॉक्‍टर बनें। लेक‍िन, दोनों को क्र‍िकेट का शौक था। प‍िता ने उनके शौक को पहचाना और उसमें काफी मददगार भी बने।

Also Read: शोएब ने पहली बार मैदान में गेंद फेंकी तो वह बल्लेबाज के टुमटुमे पर जा लगी, कपिल शर्मा के शो में बताया पूरा किस्सा

ज‍िस मस्‍ज‍िद में महमूद पठान ख‍िदमत करते थे, उसके बाहर गली में यूसुफ और इरफान क्र‍िकेट खेला करते थे। इस बात को लेकर आसपास के लोग नाराज रहते थे। दोपहर डेढ़ बजे जब नमाज का वक्‍त होता था तो उससे आधा घंटा पहले वह दोनों बेटों को बंद कर द‍िया करते थे। फ‍िर भी लोग कहते क‍ि इनकी वजह से इबादत में खलल पड़ती है।

Also Read: सुनील गावस्‍कर और के. श्रीकांत कर रहे थे बैट‍िंग, प‍िच पर आ गई ब‍िना कपड़ों के एक लड़की

कई लोग मस्‍ज‍िद कमेटी के चेयरमैन के पास महमूद की श‍िकायत तक कर देते थे और उन्‍हें मस्‍ज‍िद से न‍िकालने की मांग क‍िया करते थे। पर, महमूद पठान अल्‍लाह का नाम लेकर डटे रहे। यूसुफ और इरफान क्र‍िकेट में इतना आगे गए, महमूद पठान इसे उस अल्‍लाह की मेहरबानी मानते हैं, ज‍िनकी ख‍िदमत उन्‍होंने करीब 40 साल तक की।

क्र‍िकेट के प्रत‍ि बेटों का जुनून देख कर महमूद पठान ने उन्‍हें एकेडेमी में दाख‍िल करवाया। तब 20 रुपए फीस थी। क‍िसी तरह जुगाड़ कर महमूद पठान ने इस रकम का इंतजाम क‍िया था।

जब वह नौकरी पर जाने लगते तो साइक‍िल पर आगे-पीछे दोनों बेटों को ब‍िठा कर ले जाते। मैदान के पास छोड़ते। तेज धूप में खाली मैदान देख कर जब वह पूछते क‍ि यहां तो कोई नहीं है, तुम लोग अकेले क्‍या करोगे? तो जवाब म‍िलता- हम दोनों भाई खेलेंगे।

क्र‍िकेट का यह जुनून देख कर महमूद पठान खुश हो जाते थे। इस जुनून में खलल न पड़े, इस वजह से वह बेटों को पतंग तक नहीं उड़ाने देते थे। जबक‍ि, दोनों बेटों को पतंग उड़ाने का भी काफी शौक था। लेक‍िन, महमूद पठान को डर था क‍ि पतंग उड़ाने में अगर मांझे से जख्‍म हो गया या कहीं ग‍िर जाने से चोट लग गई तो वे क्र‍िकेट खेल नहीं पाएंगे। इसल‍िए वह यूसुफ और इरफान को पतंग उड़ाने से रोकते थे।

प‍िता के त्‍याग और तपस्‍या का फल दोनों बेटों ने दौलत और शोहरत कमा कर दे द‍िया है। दोनों की प‍िता से बौन्‍ड‍िंंग भी जबरदस्‍त है। यूसुफ ने खुद लड़की देखे ब‍िना प‍िता के फैसले के मुताब‍िक शादी की है। यूसुफ अपने भाई इरफान की तुलना में शर्मीले और खर्चीले हैं।

वेंकट नटराजन खेल पत्रकार हैं। क्रिकेट में इनकी ना केवल रुचि है, बल्कि यह क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं। क्रिकेट से जुड़े क़िस्से लिखने के अलावा वेंकट क्रिकेट Match Live Update, Cricket News in Hindi कवर करने में भी माहिर हैं।