आईपीएल: मोहम्मद सिराज को जब आया था पहला मैच खेलने के लिए मैसेज, छूट गया था पसीना, पहले ही ओवर में पिटवा लिए थे लगातार तीन चौके
मोहम्मद सिराज ने आईपीएल में 2017 में सनराइजर्स हैदराबाद के साथ आईपीएल की शुरुआत की। उन्हें छह मैचों के बाद खेलने का मौका मिला था। वह अपने घर चले गए थे, क्योंकि खेलने का मौका मिल नहीं रहा था और तय भी नहीं था कि कब मौका मिले। तब मैच हैदराबाद में ही था। सो, सिराज घर चले गए थे। तभी उन्हें टॉम मूडी का मैसेज आया- कहां हो तुम? आज तुम खेल रहे हो।
यह सुनते ही सिराज अवाक रह गए और भारी दबाव में आ गए। वह कभी भारी भीड़ के सामने नहीं खेले थे। जब वह खेलने आए तो दबाव और बढ़ गया था। दबाव से उनके पैर भारी हो गए थे और वह भाग नहीं पा रहे थे। उस पर पहले ओवर में ही लगातार तीन गेंदों पर चौंका चला गया था। जब चौथी बॉल पर विकेट मिला तब वह थोड़ा रिलैक्स्ड हुए।
2018 में सिराज रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) में थे। उस साल अच्छा खेले। लेकिन, 2019 में आरसीबी में बहुत बुरा खेले। उन्हें लगा कि अब तो उनका आईपीएल कॅरिअर गया। लेकिन, आरसीबी ने भरोसा जताया। 2020 में केकेआर के खिलाफ मैच में उन्होंने ऐसा प्रदर्शन किया कि उनका सिक्का जम गया।
2023 में तो सिराज ने कमाल ही कर दिया। इस साल भी वह आरसीबी के ही खिलाड़ी रहे। उन्होंने पंजाब किंग्स के खिलाफ एक मैच (20 अप्रैल, 2023 को मोहाली) में केवल 21 रन देकर चार विकेट लिए। जाहिर है, इसके बाद पंजाब की हार तो तय ही थी।
यह आईपीएल में सिराज का तब तक का सबसे बढ़िया प्रदर्शन था। सिराज ने बताया कि कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में उन्होंने बड़ी मेहनत की। अपने प्लान, फिटनेस, बोलिंग सब पर काम किया। उसका नतीजा देखने को मिल रहा है।
सिराज स्कूली दिनों से ही क्रिकेट खेलते थे। शुरुआत में वह बैटिंग करते थे, बोलिंग नहीं। सातवीं में एक बार वह बैटिंग करके ही मैन ऑफ द सीरीज बने थे। लेकिन, दसवीं में आने के बाद वह बोलर बन गए।
सिराज ने कभी प्रोफेशनल क्रिकेट खेलने का नहीं सोचा था। लेकिन, उन्होंने क्रिकेट के लिए पढ़ाई छोड़ दी थी। उनकी मां कहती थीं कि पढ़ लो, नहीं तो ऐसा मत कहना कि छोटे बेटे के लिए कुछ किया ही नहीं। सिराज के बड़े भाई इंजीनियर हैं।
सिराज ने मां की बातों का बुरा नहींं माना और क्रिकेट ही खेलते रहे। लेकिन, एक दिन उन्होंने क्रिकेट छोड़ कर नौकरी शुरू कर ली। हालांकि, नौकरी में वह दो महीने से ज्यादा नहींं जम सके। फिर नौकरी छोड़ क्रिकेट शुरू कर दिया। लोकल टूर्नामेंट में खेलते थे। उनसे जो पैसे मिलते, उनमें से कुछ घर में देते और बाकी अपने पास रखते।